


समाचार-गढ़ 2 अगस्त 2020। आज से पितृपक्ष शुरू हो गया है। अपने पुरखों की पूजा का पक्ष, अपने पितरों को श्रद्धा समर्पित करने का पक्ष या स्पष्ट कहें तो अपने इतिहास से मिलने का पक्ष। वर्तमान की हर पीड़ा की औषधी इतिहास के पास होती है। हम इतिहास को गुरू मान लें, तो वर्तमान और भविष्य कभी संकट में नहीं आयेगें। भारत के साथ या भारत के बाद भी जन्मी असंख्य सभ्यताएं जाने कब समाप्त हो गई, पर सनातन अब भी फल फूल रहा है क्योंकि हमने इतिहास को पूजा है, उससे सीखा है।

श्राद्ध का महत्व और फल
पितृ पक्ष पितरों का तर्पण करने से पुण्य प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष भी बताया गया है। ऐसे में पितृ दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में सदैव परेशानी। संकट औऱ संघर्ष बने रहते हैं। इसलिए इस दोष का निवारण बहुत आवश्यक बताया गया है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के जरिए पितरों को आभार प्रकट किया जाता है। ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आर्शवाद प्रदान करते हैं। इसके साथ ही श्राद्ध करने से पितकों की आत्मा को शांति भी मिलती है। ।
श्राद्ध कैसे करें
श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है। मान्यता है कि पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध रवमी की तिथि को करना अच्छा माना जाता है। अगर किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में श्राद्ध चतुर्दशी के दिन श्राद्ध किया जाना चाहिए। वहीं साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी के दिन किया जाता है।
पिंड दान का तरीका
पितृ पक्ष में पिंडदान का भी बेहद महत्व होता है इसमें लोग चावल,गाय का दूध, घी, गुड और शहद मिलाकर बने पिंडों को पितरों को अर्पित करते हैं, इसके साथ ही काला तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
श्राद्ध क्यों किया जाता है
श्राद्ध करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, इसके साथ ही दान देने की भी परंपरा है, श्राद्ध करने से दोष समाप्त होते हैं, यहि आपकी कुंडली में पितृदोश है तो यह दोष समाप्त होता है, जिससे रोग, धन संकट, कार्य में समस्याएं दूर होती हैं। श्राद्ध करने से परिवार में आपसी कलह और मनमुटाव का नाश होता है। घर के बड़े सदस्यों का सम्मान बढ़ता है। इस दौरान किसी को अपशब्द भी नही कहने चाहिए।