श्रीडूंगरगढ़ में वन विभाग की जमीन पर बस स्टैंड भवन निर्माण की मांग
समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़ 29 दिसंबर। राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की आबादी 60 हजार से अधिक व तहसील क्षेत्र की आबादी करीब तीन लाख होने के बावजूद आज भी उपखंड मुख्यालय पर बस स्टैंड भवन नहीं होना स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति पर सवालिया निशान खड़ा करता है। अरसे से बस स्टैंड भवन का अभाव झेल रही श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र की जनता की भावनात्मक आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए यहां के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तुलसीराम चौरड़िया ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर महावीर कीर्ति स्तंभ के पास स्थित वन विभाग की भूमि पर बस स्टैंड भवन बनाने की मांग की है। चौरड़िया द्वारा कलेक्टर को दिए ज्ञापन में बताया कि श्रीडूंगरगढ़ उपखंड क्षेत्र में कस्बे के अलावा करीब एक सौ गांव आते हैं और उन गांवों के यात्री उपखंड मुख्यालय पहुंचकर प्रदेश के चंहु और यात्रा के लिए घूमचक्कर चौराहे पर पहुंचकर बसों में यात्रा की जर्नी शुरू करते हैं। परंतु यहां पर गर्मी हो या सर्दी, तपती धूप हो या बारिश का मौसम। महिलाएं हो या पुरुष। बच्चे हो या वृद्ध। सभी को खुले आसमान के नीचे बसों का इंतजार करना पड़ता है। क्योंकि यहां पर ना तो धूप से बचने के लिए छाया है, और ना ही बारिश के समय भीगने से बचने का उपाय। हैरानी तो तब होती है जब कस्बे से पश्चिम की तरफ की यात्रा करनी हो तो घूमचक्कर चौराहे के पश्चिम दिशा में खड़े रहकर बसों इंतजार का इंतजार करना पड़ता है, तो वही, कस्बे से पूर्व की ओर यात्रा करनी हो, तो घूमचक्कर चौराहे से पूर्व की ओर खड़े रहकर यात्रियों को बसों का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा कस्बे से दक्षिण गांवों की यात्रा करने के लिए यात्रियों को बिदासर मार्ग पर खड़े रहकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के बावजूद श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के लोगों को यात्री विश्रामालय का अभाव काफी दर्द भरा है। इसलिए चौरड़िया ने कलेक्टर से जनहित के मद्देनजर उपखंड मुख्यालय पर सर्व सुलभ स्थान वन विभाग की भूमि पर बस स्टैंड बनाने हेतु राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाने का अनुरोध किया है। इस मांग को लेकर श्याम महर्षि, श्यामसुंदर पारीक, भंवर भोजक, रामचंद्र राठी, विमल भाटी, जगदीश प्रसाद स्वामी, करणी सिंह बाना, भरत सिंह राठौड़, विजय राज सेठिया, हीरालाल पुगलिया व श्री गोपाल राठी ने हस्ताक्षर किए हैं।