समाचारगढ़ 25 अगस्त 2024 श्रीडूंगरगढ़। मनुष्य के जीवन में तीन अवस्थाएं होती हैं, जिनमें बाल्यावस्था ज्ञानार्जन की अवस्था होती है। बाल्यावस्था में ज्ञान के संस्कारों का जो बीजारोपण होता है, वही उनके जीवन निर्माण में सहायक होता है। यह प्रेरणादायी उद्बोधन सेवा केंद्र व्यवस्थापिका, शासनश्री साध्वी कुंथुश्री ने ज्ञानशाला दिवस पर उपस्थित ज्ञानार्थियों और प्रशिक्षिकाओं को प्रदान किया। साध्वी ने कहा कि बच्चों में सर्वप्रथम उनकी माता और उसके बाद प्रशिक्षिकाओं के संस्कार जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। बच्चों में संस्कार वह संपदा है जो धनार्जन से भी अधिक मूल्यवान होती है।
कार्यक्रम की शुरुआत गीतांश मालू द्वारा मंगलाचरण से हुई। ज्ञानशाला संयोजक के. एल. जैन ने स्वागत भाषण देकर सभी का स्वागत किया। ज्ञानशाला ज्ञानार्थी मोहित गंग और युवराज चोपड़ा ने नमस्कार महामंत्र मुद्रा की प्रस्तुति दी। साध्वी सुमंगलाश्री ने ज्ञानशाला दिवस पर ज्ञानवर्धक भाषण दिया। ख्वाइश झाबक, कार्तिक मालू, और जैनिशा बोथरा ने अपने भावपूर्ण भाषणों से सभी को प्रभावित किया।
ज्ञानशाला के नन्हें ज्ञानार्थियों ने “अतिमुक्तक मुनि” और “सपनों को सच करती संस्कारशाला” के माध्यम से बहुत सुंदर और मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। सभा के मंत्री प्रदीप पुगलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान कमलचंद और दीपक कुमार सिंघी ने ज्ञानार्थियों की प्रस्तुति पर 5100 रुपए के आर्थिक सहयोग की घोषणा की।
कार्यक्रम में नाटिका प्रस्तुति देने वाले ज्ञानार्थियों को सम्मानित किया गया, और प्रश्नोत्तरी के प्रतिभागियों को सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया के आर्थिक सहयोग से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन मंजू झाबक ने किया। कार्यक्रम में ज्ञानशाला संयोजक के. एल. जैन, मुख्य प्रशिक्षिका मंजू बोथरा, मंजू झाबक, गुंजन छाजेड़, संपत देवी मालू, तन्वी मालू, साक्षी दुगड़, सभा कोषाध्यक्ष तोलाराम पुगलिया, संजय बरड़िया, तेयुप मंत्री अमित बोथरा आदि उपस्थित रहे।