समाचार-गढ़। प्रदेश की सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले 58 लाख बच्चों में से 7 लाख बच्चों के जन आधार नहीं बने हैं। संस्था प्रधानों ने 4.90 लाख बच्चों के जन आधार नहीं बनने के कारणों का उल्लेख शाला दर्पण पोर्टल पर कर दिया है। जबकि 2.10 लाख बच्चे ऐसे हैं जिनके रिकाॅर्ड उपलब्ध नहीं होने या खामियों के कारण डाटा अपलोड नहीं हो पाया है। अब शिक्षा विभाग ने ऐसे बच्चों का रिकाॅर्ड 15 अप्रैल तक अपलोड करने के सभी जिलों के एडीपीसी को आदेश दिए हैं। जोधपुर के 25,450 विद्यार्थियों के जन आधार नहीं बने। दरअसल, पिछले 6 महीने से स्कूलों में जन आधार अपलोडिंग का काम चल रहा है। हर बार शिक्षा विभाग संस्था प्रधानों और संबंधित जिलों के शिक्षाधिकारियों को शिथिलता देते हुए तारीख आगे बढ़ा देता है। पिछले 6 माह में 6 बार तारीख आगे बढ़ा दी गई। फिर भी अपडेशन नहीं हुआ। पिछले माह भी तारीख आगे बढ़ाते हुए 9 मार्च तक की मोहलत दी थी। अब 2.10 लाख बच्चों की डिटेल विभाग को नहीं मिल पाई है। जबकि वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं और मई माह में नया सत्र शुरू हो जाएगा।
कारण ये
माता-पिता या संरक्षक नहीं, अभिभावक जन आधार नंबर नहीं दे रहे, बच्चों के नाम नहीं जुड़े, बाहरी राज्यों के निवासी
जिले में 60 और प्रदेश में 1366 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता और संरक्षक नहीं हैं। प्रदेश के 14080 व जिले 893 अभिभावक स्कूलों को अपने जन आधार नंबर नहीं दे रहे। वहीं प्रदेश में 91066 व जिले के 4,489 अभिभावकों के पास जन आधार तो हैं, लेकिन वे बच्चों के नाम नहीं जुड़वा पाए हैं। प्रदेश में 58,895 व जिले में 3242 विद्यार्थी ऐसे परिवार से हैं जो दूसरे राज्यों से यहां बसे हुए हैं और उनके पास जन आधार नहीं हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जरूरी जन आधार अपडेशन
सरकारी योजनाओं लेने के लिए सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का जन आधार अपडेशन अनिवार्य किया हुआ है। सरकार की ओर से बच्चों को दो जोड़ी स्कूल यूनिफॉर्म का कपड़ा निशुल्क देकर प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए सिलाई पेटे दिए जा रहे हैं। यह राशि बच्चों के बैंक खातों में जमा होनी है। इसे लेकर स्कूलों को शाला दर्पण पोर्टल पर जन आधार का अपडेशन करना है। जोधपुर के 25,450 विद्यार्थियों के जन आधार अपडेशन नहीं होने से उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
सभी सीबीईओ और पीईईओ को जन आधार अपडेशन के लिए निर्देशित हुआ है। अगर किसी बच्चे के दिक्कत आ रही हैं तो टीआरएन नंबर जनरेट करने के लिए भी कहा गया है। – भल्लूराम खीचड़, सीडीईओ