श्रीडूंगरगढ़वासी निरन्तर संपर्क में बने रहे, उचित समय की प्रतीक्षा करें: आचार्यश्री महाश्रमण
समाचार गढ़, 20 सितम्बर, श्रीडूंगरगढ़। जैनाचार्य आचार्यश्री महाश्रमण से चातुर्मास की अर्ज करने श्रीडूंगरगढ़ निवासियों और प्रवासियों का 400सदस्यों से अधिक श्रद्धालुओं का एक संघ सूरत में आचार्य के समक्ष उपस्थित हुआ। सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया के नेतृत्त्व और भीखमचन्द पुगलिया के प्रायोजन में महावीर समवसरण आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री महाश्रमण से श्रीडूंगरगढ़ चातुर्मास फरमाने की पुरजोर अर्ज की। श्रीडूंगरगढ़ की तरफ से कविश्रेष्ठ बनेचन्द मालू ने आचार्यश्री से कहा कि श्रीडूंगरगढ़ को आचार्य तुलसी के चातुर्मास और आचार्य महाप्रज्ञ के शेषकाल के प्रवास के अतिरिक्त कोई बड़ा प्रवास नहीं मिला है। इसलिए श्रीडूंगरगढ़ के श्रावक-श्राविकाओं का चातुर्मास का हक बनता है। मालू ने आचार्यश्री से श्रीडूंगरगढ़ वासियों पर कृपादृष्टि करने की याचना की। श्रीडूंगरगढ़ सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कुंथुश्री द्वारा रचित गीत “करते चरणों में वंदन” की भावपूर्ण प्रस्तुति सम्पूर्ण श्रीडूंगरगढ़ निवासियों और प्रवासियों द्वारा आचार्य के समक्ष की गई। आचार्य ने इस दौरान अपने मंगल पाथेय में फरमाया कि श्रीडूंगरगढ़ को आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का आशीर्वाद मिला है। श्रीडूंगरगढ़ तेरापन्थ की श्रद्धा का इकरँगा क्षेत्र है। यहां के कार्यकर्ताओं में श्रद्धा,आस्था है। गुरुदेव महाप्रज्ञ ने मर्यादा महोत्सव और लंबा शेष समय भी श्रीडूंगरगढ़ को प्रदान किया था। गुरुदेव ने सभी पर स्नेह वृष्टि करते हुए कहा कि आप सभी निरन्तर संपर्क में रहना। उचित समय आने पर कुछ कहा जा सकता है। मीडिया प्रभारी राजू हिरावत ने बताया कि सम्पूर्ण श्रीडूंगरगढ़ संघ ने आचार्यश्री महाश्रमण के साथ साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा सहित मुख्यमुनि महावीर कुमार, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा सहित सभी साधु-साध्वियों के दर्शन सेवा का लाभ लिया।
इस दौरान कार्यक्रम प्रायोजक भीखमचन्द पुगलिया, सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया, सूरत चातुर्मास अध्यक्ष संजय सुराणा, ओसवाल पंचायत के अध्यक्ष दीपचंद बोथरा, माणकचन्द डागा, भीकमचंद पुगलिया, विकास पारख, अरुण बोथरा, संजय बोथरा, सुमेरमल डागा, भीखमचन्द बोथरा, भीकमचंद पुगलिया जयपुर, विजयराज सेठिया, जतन पुगलिया, शान्ता पुगलिया, सभा मंत्री प्रदीप पुगलिया, महेंद्र मालू, मनोज डागा सहित अनेकों श्रावक- श्राविका मौजूद रहे।