श्री गणेशाय नमः
शनि जयंती पर बन रहे हैं विशेष योग भूलकर भी न करें ये गलती
समाचार गढ़ 18 मई 2023। क्षेत्र के प्रसिद्ध ज्योतिषी राजगुरु पंडित देवीलाल उपाध्याय के पुत्र एवं आचार्य रामदेव उपाध्याय ने बताया कि इस वर्ष शनि जयंती का पर्व दिनांक 19 मई 2023 वार शुक्रवार को मनाया जाएगा। सूर्यपुत्र शनिदेव को ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार नवग्रह मंडल में न्यायाधीश ग्रह के रूप में माना जाता है। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में उच्च स्थान पर स्थित शनि उस जातक के यश, ऐश्वर्य, दीर्घायु, चिन्तन शक्ति (विशेष रूप से दार्शनिक चिंतन) का कारक होता है। किंतु विपरीत स्थान पर स्थित शनि जातक की निर्धनता, दासता एवं अनाचार को बढ़ावा देता है। अन्य ग्रहों की तुलना में शनि को अधिक बलशाली माना जाता है।
वर्तमान गोचर कुण्डली के अनुसार शनि की ढैया एवं साढ़ेसाती से प्रभावित कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ,मीन आदि राशियां हैं। इन राशियों के जातकों के लिए कष्ट की निवृत्ति हेतु शनिजयंति पर भगवान शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनिदेव की विशेष आराधना उपयुक्त रहेगी।
आचार्य ने बताया इस वर्ष शनि जयंती पर तीन विशेष योग भी बन रहे हैं जो अपने आप में एक सुखद संकेत हैं।
१.शोभन योग- आचार्य ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि जयंती के दिन शोभन नाम के योग है जिसे ज्योतिष शास्त्रों में अति शुभ माना जाता है श्री डूंगरगढ़ समयानुसार प्रातः 5:49 बजे से शोभन योग आरंभ हो जाएगा जो सायं 18:12:19 बजे तक रहेगा।
२. गजकेसरी योग- आचार्य ने बताया कि शनि जयंती के दिन गजकेसरी नामक योग का होना ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अति शुभ संकेत है। शुक्रवार को मेष राशि में गुरु के साथ चंद्रमा की युति होने से दोपहर 13:32 बजे तक गजकेसरी नामक शुभ योग रहेगा। शास्त्रों के अनुसार इस योग में शनि पूजन करने से जातक को न केवल आर्थिक समस्या से छुटकारा ही मिलता है बल्कि आर्थिक लाभ की भी प्रबल संभावनाएं रहती है। अतः इस योग में शनि पूजन अवश्य करना चाहिए।
३.शशयोग-
आचार्य ने बताया कि शनि जयंती के दिन गोचर कुंडली के अनुसार शनि ग्रह स्वराशि कुंभ में दशम स्थान अर्थात् केंद्र में स्थित होकर शश योग
नामक श्रेष्ठ योग का भी निर्माण कर रहा है। पंच महापुरुषों में एक इस शशयोग को अति शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शशयोग में किसी भी शुभ कार्य को संपन्न करना अति श्रेष्ठ माना जाता है शश योग में धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ, अचूक उपाय आदि करने से न केवल धन -संपदा, मान- सम्मान आदि ही प्राप्त होता है बल्कि इस योग में शनि पूजन करने से जातक की सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती है।
आचार्य ने बताया कि शनि जयंती के दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिसे शास्त्रों में निषेध बताए गए हैं शनि जयंती के दिन निषेध कार्य करने से शनिदेव क्रोधित हो सकते हैं अतः इन कार्यों को शनि जयंती के दिन कदापि नहीं करना चाहिए।
शनि जयंती के दिन कौन -कौन से कार्य निषेध हैं –
१- जिनके घर पर प्रसूति या सूतक है उन्हें शनि पुजन नहीं करना चाहिए।
२. शनि जयंती के दिन कांच या लोहे से बनी वस्तुओं को घर पर नहीं लाना चाहिए।
३. शनि जयंती के दिन पीपल के पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिए।
४. इस दिन बाजार से सरसों का तेल ,काली उड़द, लकड़ी आदि खरीद कर घर पर नहीं लानी चाहिए।
५. शनि जयंती के दिन बाल, नाखून आदि नहीं काटने चाहिए अन्यथा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
६. शनि जयंती के दिन मांस मदिरा आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए।
७. भगवान शनि देव के दर्शन करते समय उनके चरणों का दर्शन करना चाहिए मुख का नहीं।
शनि ही कर्मफलदाता क्यों ?
कुछ लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि सभी देवों में शनि देव को ही कर्म का फलदाता क्यों माना जाता है तो आइए इस विषय पर चर्चा करते हैं। शनिदेव की माता छाया ने शनिदेव के गर्भ के समय भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। जिसका प्रभाव शनिदेव पर भी पड़ा। शनिदेव श्याम वर्ण के हो गए थे। उनका श्याम वर्ण होने के कारण शनि देव के पिता सूर्यदेव ने अपनी पत्नी छाया पर संदेह किया था तब शनिदेव के क्रोध के कारण परिणाम स्वरूप सूर्यदेव भी काले हो गये थे उनको कुष्ठ रोग हो गया था। शनिदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था कि वे लोगों को कर्मों के अनुसार ही फल देंगे।
राजगुरु पंडित देवी लाल उपाध्याय
(ज्योतिष विद्)
9414429246
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय
शास्त्री आचार्य, (ज्योतिष विद्)
09829660721