समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ में चल रहा अखिल भारतीय किसान का दो दिवसीय 21वां जिला सम्मेलन बुधवार को संपन्न हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन किसानों की समस्याओं के विभिन्न प्रस्ताव मेज पर रखे गए और नई जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन बिजली संशोधन कानून 2022 को रद्द करने, एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने, जिले का 2019 से बकाया फसल बीमा क्लेम दिलवाने, डिग्गी निर्माण पर सब्सिडी जारी करने, एमएसपी पर पूरी फसल खरीद करने, लंपी स्किन डिजीज की मोबाइल टीमें बनाकर रोकथाम करने, डीएपी-यूरिया समय पर उपलब्ध करवाने, नये कृषि कनेक्शन बिजाई से पूर्व जारी करने, एक खसरे में बने ट्यूबवेलों हेतु अलग-अलग ट्रांसफार्मर दिलवाने, राज्य सरकार के आदेशानुसार किसानों का राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज माफ करने, नहरों की क्षमता बढ़ाकर वंचित इलाके को सिंचित पानी उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव पारित कर आगामी समय में संघर्ष करने का आह्वान किया गया। इन प्रस्तावों पर जिला सचिव जेठाराम लाखूसर ने बहस का जवाब दिया और अध्यक्षमंडल ने रिपोर्ट में संशोधन करते हुए सर्वसम्मति से पारित करवाया। दो दिवसीय जिला सम्मेलन में संगठन के 75 प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपने सुझावों व सुधारात्मक पहलुओं को संगठन के समक्ष रखा। वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के पिछले 5 वर्ष में जिलेभर में किए गए आंदोलनों व संघर्षों से संबंधित अखबार कटिंग्स-फोटोज की प्रदर्शनी लगाई गई।
24 सदस्यीय जिला कार्यकारिणी का गठन:- इस सम्मेलन में अभाकिस की 24 सदस्यीय जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें विधायक गिरधारीलाल महिया को अध्यक्ष, लालचंद भादू, मोहन भादू, सत्तूनाथ सिद्ध को उपाध्यक्ष, जेठाराम लाखूसर को मंत्री, गोपाल भादू को कोषाध्यक्ष, देवीसिंह भाटी, राजेंद्र जाखड़, रामप्रसाद पटीर को संयुक्त मंत्री, छोगाराम तर्ड़ व शेखर रेगर को सोशल मीडिया प्रभारी सर्वसम्मति से मनोनीत किया गया व धनाराम गोदारा, काननाथ सिद्ध, लालचंद सारण, मामराज गोदारा अमरगिरी गोस्वामी, चेनाराम गोदारा, ओमप्रकाश मेघवाल, दीपाराम भादू, रिछपाल गोदारा, मांगीलाल गोदारा, सीताराम पूनियां, घेवरराम मेघवाल, भंवरलाल भूंवाल को सदस्य चुना गया। तत्पश्चात नवनिर्वाचित अध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक गिरधारीलाल महिया ने समापन भाषण देते हुए कहा कि सरकारों की गलत नीतियों से किसान मजदूर व आम जनता पर लगातार हमले हो रहे हैं, इसलिए सरकारों को उनकी ही भाषा में जवाब देने के लिए संघर्षों को तेज करना पड़ेगा। उन्होंने गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर किसान सभा की इकाई को मजबूत करते हुए संघर्षों की राह अपनाने का आह्वान किया।
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