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सराहनीय निर्णय। अब नहीं होगा मृत्यु भोज, उस खर्च से बच्चों को मिलेगी शिक्षा

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श्रीडूंगरगढ़। सोमवार को कस्बे की अम्बेडकर कॉलोनी ( कालूबास ) में मेघवाल समाज की बैठक हुई । बैठक में मेघवाल समाज के समस्त गणमान्य बुजुर्गो व युवा संगठन के युवाओं ने मृत्युभोज व ओढावनी बंद करने का तथा शिक्षित समाज पर जोर देने का निर्णय लिया है ..
मेघवाल समाज के युवाओं ने कहा कि मृत्युभोज बेहद खराब प्रथा है , जिसमे होने वाले खर्च से गरीब परिवार अधिक कर्जदार हो जाते है , इस कारण उनके बच्चे पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी में लग जाते है और शिक्षा से वंचित रह जाते है , इससे उनका भविष्य खराब हो जाता है ।
मेघवाल समाज ने इस बात को ध्यान में रखते हुवे इस कुरुति को बंद करने का फ़ैसला लिया है ।इससे मृत्युभोज में होने वाले खर्च से अपनी बच्चो की शिक्षा में लगा सकेंगे ताकि उनके बच्चो का सुनहरा भविष्य हो । मेघवाल समाज में अब मृत्युभोज और ओढ़ावनी ( पहरावनी ) बंद है ।
इसका कोई उल्लंघन करता है तो उस पर मृत्युभोज निवारण अधिनियम 1960 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी इसमें कानून के अंतर्गत कोई मृत्युभोज करता है या इसके लिए दबाव बनाता है तो उसे एक साल के लिए जेल होती है ।
युवा संगठन के संदीप जयपाल ने कहा ” आप सब अच्छी तरह जानते और समझते है की हमारा समाज बेरोजगारी और महंगाई से लड़ रहा है , जरुरते इतनी बढ़ गई है की 50 हजार रुपए हर महीने की तनख्वाह पाने वालो की भी नींद उड़ गई है तो फिर 300 रुपए दिहाड़ी मजदूरी पाने वाले लोगो का क्या हाल होगा ? मृत्यभोज बंद करने का फैसला सराहनीय है । “
युवा संगठन के युवाओं ने कहा – ” खुद भूखा रहकर भी परिजन बाहरवा खिलाते , अंधी परंपरा के पीछे जीते जी मर जाते। “
बैठक में उपस्थित कुछ बुजुर्गो ने इच्छा जताई की हमारी मृत्यु के पश्चात मृत्युभोज करने की कोई आवश्यकता नहीं है , भोज में होने वाले खर्च की बचत से समाज के बच्चो की शिक्षा के लिए लगाया जाए और हर वर्ष एक पौधा लगाकर हमारी याद को ताजा किया जाए ।
पूर्व पार्षद नानूराम मेघवाल ने कहा कि मृत्युभोज बंद करके समाज के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है ।
युवा संगठन ने सबसे अपील की कि श्री डूंगरगढ़ तहसील के सभी गांवों में इस कुरीति को बंद करे तभी समाज और देश की विकास होगा ।
मेघवाल समाज के लोगो ने बैठक के अंत में कहा आज 100 है तो कल हजार भी होंगे , हमे देखकर ही तो लोग तैयार होंगे ।

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