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HomeFrontलिखते- छपते रचनाएं संवरने लगती हैं- श्याम महर्षि

लिखते- छपते रचनाएं संवरने लगती हैं- श्याम महर्षि

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लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला का दूसरा दिन

श्रीडूंगरगढ़। लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला में नव लेखकों ने अपने अनुभव बताए। उन्होंने कहा कि अब तक उनके सामने यह उलझन थी कि वे लेखन के क्षेत्र में उतरे कैसे? इस लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला में उन्हें व्यावहारिक रूप से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। नव लेखकों ने पुस्तकें पढ़ने में अपनी रुचि दर्शाई और कहा कि वे सभी पुस्तकालयों के सदस्य बनकर पाठकीय धर्म का निर्वहन करेंगे।
प्रशिक्षक वरिष्ठ साहित्यकार श्याम महर्षि ने कहा कि लेखन के क्षेत्र में सबसे प्राथमिक बात है, आपकी जिस विधा में रुचि है, उसमें लिखना प्रारंभ करदें। लिखते- छपते रचनाएं संवरने लगती है। प्रारंभ में सभी लेखकों के समक्ष जिज्ञासाओं और कौतुहल के पहाड़ लगे रहते हैं।
कार्यशाला संयोजक डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि एक लेखक के लिए इस बात की आवश्यकता रहती है कि वह निरंतर लिखे। अध्ययन पर ध्यान रखे और अपने उत्साह और अभ्यास को भंग न होने देवे। लेखक का सबसे बड़ा आलोचक स्वयं लेखक ही रहना चाहिए। अपनी रचना किस स्तर की है, यह बात रचनाकार के अतिरिक्त दूसरा कौन बता सकता है? लेखक समाज का एक सजग और कर्तव्य निष्ठ व्यक्ति होता है जो समय की नब्ज पर अपना हाथ धरता है। उन्होंने आवश्यकता जताई कि अध्यापकों के लेखन बहुत नजदीक की विधा है, इसलिए उन्हें लेखन का अभ्यास बनाए रखना चाहिए। सेवानिवृत वाणिज्य अधिकारी सत्यनारायण योगी ने भी कार्यशाला में भाग लिया। इस अवसर पर श्याम महर्षि ने कहा कि कल नव लेखकों को राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति का अवलोकन करवाया जाएगा।

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