भागवत कथा का छठा दिवस
रासलीला भागवत का हृदय है- संतोष सागर
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। मोमासर में चित्रकार बजरंग सुथार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस में गोपी गीत एवं रास का संगीतमय प्रसंग सुनाते हुए युवा संत संतोष सागर ने कहा कि रासलीला भागवत का हृदय है। रास, भगवान और भक्त के मिलन का प्रसंग है। हृदय में भगवत चेतना की ज्योति जहां जग जाए, जब जग जाए, वहीं रास प्रारंभ हो जाता है। भगवद् रस को ही रास और उसी को ‘रसो वै’ भी कहा गया है।
गोपी गीत हमें बताता है कि भगति के मार्ग में अहंकार का उच्छेदन आवश्यक है। संतजी ने कहा कि विश्व में सनातन धर्म ही अकेला ऐसा धर्म हैं, जिसमें कथा की परंपरा है और उसके माध्यम से ठाकुर जी का गुणानुवाद किया जाता है।
आज की कथा के समापन पर जयपुर से आए लोक कला-मर्मज्ञ विनोद जोशी का सम्मान किया गया। इस अवसर पर आपने कहा कि भगवद कथाएं हमारे हृदय में प्रेम, श्रद्धा, विश्वास और दृढता जगाती हैं। उन्होंने कहा कि चित्रकार बजरंग सुथार जिजीविषा के धनी चित्रकार हैं, उन्होंने पूरे भारत में एक पहचान का सृजन किया है। इस अवसर पर बाहर से आए श्रद्धालु जनों का भी सम्मान किया गया।