समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़।
कस्बे के नेहरू पार्क में अत्यंत प्रफुल्लित वातावरण में नगर और बाहर के श्रद्धालुजनों की भारी उपस्थिति के साथ श्रीमद्भागवत कथा चल रही है। कथा का आयोजन गिरधारीलाल, मुकेशकुमार, अमितकुमार पारीक डेलवां वालों ने किया है। निरंतर लगभग पांच घंटे तक निखालिस भागवत सुना रहे हैं, वीतरागी संत शिवेन्द्र स्वरूपजी।
आज चौथे दिन की कथा सुनाते हुए आपने भागवत के पांचवे तथा छठे स्कंध की कथा सुनाई और कहा कि एक भगवद् भक्त की निष्ठा प्रहलाद जैसी होनी चाहिए। प्रहलाद विकट से विकट और विषम से विषम परिस्थिति में अडोल रहते हैं। भक्त को प्रहलाद की भांति निर्भय हो जाना चाहिए।
ब्रह्मचारीजी ने स्पष्ट किया कि यह जीवन भोगों के लिए नहीं मिला है। भोगों से तृप्ति किसी भी स्तर पर संभव नहीं है। आखिर सब कुछ छूट जाता है तो पहले ही निवृत्ति पा लेना सद्बुद्धि का कार्य है। सत्संग से विवेक जागृत होता है और विवेक से बोध। स्वयं का बोध हो जाने पर कल्याण पीछे नहीं रह जाता। भगवान ने हमें भोगी से योगी बनने का सामर्थ्य सहज ही दिया है, हमारी उस ओर दृष्टि नहीं जाती। हमें अपने कर्मों के प्रति हर पल सजग रहना चाहिए। हम अपने आसपास पशु पक्षी आदि जीवों को कष्ट पाते हुए देखते हैं, फिर भी नहीं समझ पाते हैं कि यह सब कर्मों का ही प्रतिफल है जो हर प्राणी भोग रहा है। कर्मों की गति सूक्ष्म है, ऐसा हम गीता में पढते आए हैं, पर यह जानने की चेष्टा नहीं करते कि वह सूक्ष्म कैसे है। प्रारब्ध, संचित और क्रियमाण को किस समय किस प्रकार भोगते हैं, यह बहुत रहस्यमय प्रक्रिया है।
संत शिवेन्द्रजी ने चेताते हुए कहा कि जब हम जानते हैं कि दुर्लभो मानुषो देह तो फिर इसे रद्दी के भाव क्यों बेच रहे हैं? आपने जोर देकर कहा कि सेवा, त्याग और प्रेम को अपने जीवन का ध्येय बनालें, जीवन सर्वांग सुन्दर बन जाएगा।
आज की कथा के प्रारंभ में तीस से अधिक लोगों का सम्मान किया गया। कल कृष्णावतरण की कथा होगी। मंच संचालन चेतन स्वामी ने किया।
नेहरू पार्क में आयोजित भागवत कथा का विश्राम, भागवत समझावै- गृहस्थ में कियां रैवणो चाइजै- संत शिवेन्द्रजी
समाचार गढ़, 22 दिसम्बर, श्रीडूंगरगढ़। कालूबास में स्व. श्री मोहनलाल सोनी (माहेश्वरी) के संतति द्वारा नेहरूपार्क में आयोज्य श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम समारोह- पूर्वक हुआ। भागवतजी को गाजे –…