चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव का ऐलान कर दिया है। राजस्थान में 2 चरणों में चुनाव होगा। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी, वहीं दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होगी। राजस्थान में बागीदौरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होगा। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लग गई है। 2019 में भी राजस्थान में दो चरणों में चुनाव हुए थे।
19 अप्रैल को 11 सीट पर वोटिंग : श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरु, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा 26 अप्रैल को 14 सीट पर वोटिंग : टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौडगढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा, झालावाड़-बारां, आचार संहिता लगने के बाद केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार नई योजना, कार्यक्रम की घोषणा नहीं कर सकेंगी। ऐसा कोई काम नहीं कर सकेंगे। जो आदर्श आचार संहिता के दायरे में आता हो। चुनाव के काम में लगे अफसर-कर्मचारियों के तबादले नहीं हो सकेंगे। सरकार के दूसरे विभागों में भी तबादले चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना नहीं हो सकेंगे। आचार संहिता के पालन के लिए आयोग भारत-पाक बॉर्डर पर ड्रोन से चेकिंग करेगा, वहीं यूपीआ इंजेक्शन को भी चेक करेगा।
3 प्रतिशत फस्ट टाइम वोटर पर दोनों पार्टियों का फोकस राजस्थान में पहली बार वोट डालने वाले वोटर्स की संख्या 15 लाख 70 हजार से ज्यादा है। इन 3 प्रतिशत फस्ट टाइम वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पूरा जोर लगा रही है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यह तीन प्रतिशत वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही 18 से 39 साल के वोटर्स को लुभाने के लिए भी दोनों पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं। वहीं पदेश में 100 साल से ज्यादा उम्र के 20 हजार 496 वोटर हैं।
बॉर्डर पर ड्रोन से होगी चेकिंग
चुनाव आयोग निर्देश दिए हैं कि हर बूथ पर पीने के लिए पानी, बिजली और दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था होगी। हर बूथ पर हेल्प डेस्क भी बनाई जाएग रनेशनलन बॉर्डर पर ड्रोन से चेकिंग होगी। वुट्ठा चुनाव के लिए वॉलियंटर और संविदा वाले बच्चाही नियुक्त नहीं होंगे। धनबल का उपयोग रोकने के लिए यूपीआई ट्रांजेक्शन भी ट्रैक होगा आयोग चुनाव में धनबल का उपयोग रोकने के लिए विभिन्न ऐप से होने से वाले यूपीआई ट्रांजेक्शन को भी ट्रैक करेगा। आयोग ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि संदेह पैदा करने वाले ट्रांजेक्शन के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दी जाए।