दिनांक 10-04-2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
बिल्वपत्र से मिलते हैं चमत्कारिक लाभ जानें कैसे ?
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 10/04 /2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – वसंत
* अयन- उत्तरायण
* मास – वैशाख
* पक्ष- कृष्ण
* तिथि- चतुर्थी प्रातः 08:34 बजे उपरांत पंचमी
* वार- सोमवार
* नक्षत्र – अनुराधा दोपहर 13:36 बजे उपरांत ज्येष्ठा
* योग- व्यतिपात रात्रि 20:07:36 बजे उपरांत वरियान
- करण- 1 बालव – 08:34 A.M.2 कौलव- रात्रि 19:54 बजे उपरांत तैतिल-
चंद्र राशि वृश्चिक
चंद्र बल– वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन
सम्वत् नाम – पिंगल
सूर्योदय – 06:20 A.M. सूर्यास्त – 06:51 P.M.
दिनमान – 12:31
रात्रिमान – 11:28 *शुभ समय* अभिजित मुहूर्त मध्याह्न -12:11:30 बजे से 12:59:30 तक
अशुभ समय
यमगण्ड – प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक राहुकाल- प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
कालवेला या अर्द्धयाम
1. प्रातः 07:53:52 से 09:27:45 बजे तक
2. रात्रि 11:09 से 12:35 बजे तक
गुलिक काल – दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक
दिशा शूल – पूर्व दिशा
चौघड़िया ( दिन)
1.अमृत- प्रातः 06:20 से 07:53:52 तक
2.काल-प्रातः 07:53:52 से 09:27:45 (कालवेला निषेध)
3.शुभ-प्रातः 09:27:45 से 11:01:37 तक
4.रोग-प्रातः 11:01:37 से 12:35:30 तक
5.उद्वेग- दोपहर 12:35:30 से 02:09:22 तक
6.चंचल- दोपहर 02:09:22 से 03:43:15 तक
7.लाभ- सायं 03:43:15 से 05:17:07 तक (वारवेला निषेध)
8.अमृत-सायं 05:17:07 से 06:51 तक
चौघड़िया ( रात्रि)
1.चंचल-रात्रि 06:51 से 08:17 तक
2.रोग-रात्रि 08:17 से 09:43 तक
3.काल-रात्रि 09:43 से 11:09तक
4.लाभ-रात्रि 11:09 से 12:35 तक (काल वेला निषेध)
5.उद्वेग-रात्रि 12:35 से 02:01 तक
6.शुभ-रात्रि 02:01 से 03:27 तक
7.अमृत-रात्रि 03:27 से 04:53 तक
8.चंचल-रात्रि 04:53 से 06:19 तक
विशेष–
शिव आराधना के लिए सोमवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। सोमवार को भगवान शिव को बिल्वपत्र अवश्य अर्पण करना चाहिए। क्योंकि बिल्वपत्र का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने से न केवल 3 जन्मों के पापों का नाश होता है बल्कि भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने से सोम यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। एवं शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने से करोड़ों कन्यादान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। ब्राह्मण को स्वर्ण मय शालिग्राम जी की शिला बनाकर दान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वही पुण्य भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने मात्र से मिल जाता है इसके अलावा भी शास्त्रों में बिल्वपत्र के और भी अनेक महत्व बताए गए हैं। अतः सोमवार को विशेषतः भगवान शिव को बिल्वपत्र अवश्य चढ़ाएं।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721