दिनांक 17- 05-2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
संतान के विवाह में हो रहा है विलंब तो अवश्य करें यह अचूक उपाय
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 17/ 05 /2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – ग्रीष्म
* अयन- उत्तरायण
* मास – ज्येष्ठ
* पक्ष- कृष्ण
* तिथि- त्रयोदशी रात्रि 22:25 बजे उपरांत चतुर्दशी
* वार- बुधवार
* नक्षत्र – रेवती प्रातः 07:35 बजे उपरांत अश्विनी
* योग- आयुष्मान रात्रि 21:13:12 बजे उपरांत सौभाग्य
करण- 1 गर- 10:56 A M. A.M.2 वणिज- 22:25 P.M. उपरांत विष्टि (भद्रा)
चंद्र राशि – मीन प्रातः 07:35 बजे उपरांत मेष
चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन प्रातः 07:35 बजे उपरांत मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, मीन
सम्वत् नाम – पिंगल
सूर्योदय – 05:50 A.M. सूर्यास्त – 07:10 P.M.
दिनमान – 13:20
रात्रिमान – 10:40 *अशुभ समय* यमगण्ड - प्रातः 7:30 से 9:00 तक राहुकाल- दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
कालवेला या अर्द्धयाम
- प्रातः 09:10 से 10:50 बजे तक
- रात्रि 03:10 से 04:30 बजे तक
गुलिक काल – प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
दिशा शूल – उत्तर दिशा में यात्रा विशेष वर्जित एवं यथासंभव सभी दिशाओं की यात्राओं को टालें
चौघड़िया ( दिन)
1.लाभ- प्रातः 05:50 से 07:30 तक
2.अमृत-प्रातः 07:30 से 09:10 तक
3.काल-प्रातः 09:10 से 10:50 तक (कालवेला निषेध)
4.शुभ-प्रातः 10:50 से 12:30 तक
5.रोग- दोपहर 12:30 से 02:10 तक(वारवेला निषेध)
6.उद्वेग-दोपहर 02:10 से 03:50 तक
7.चंचल- सायं 03:50 से 05:30 तक
8.लाभ-सायं 05:30 से 07:10 तक
चौघड़िया ( रात्रि)
1.उद्वेग-रात्रि 07:10 से 08:30 तक
2.शुभ-रात्रि;08:30 से 09:50 तक
3.अमृत-रात्रि 09:50 से 11:10 तक
4.चंचल-रात्रि 11:10 से 12:30 तक
5.रोग-रात्रि 12:30 से 01:50 तक
6.काल-रात्रि 01:50 से 03:10 तक
7.लाभ-रात्रि 03:10 से 04:30 तक(कालवेला निषेध)
8.उद्वेग-रात्रि 04:30 से 05:50 तक
विशेष – यदि आपके पुत्र या पुत्री का विवाह नहीं हो रहा हो तो बुधवार के साथ में अष्टमी तिथि हो उस दिन हरे मूंग एवं सात दूर्वा (दोब) लेकर छत पर जाकर चंद्रमा के सामने सात वार अपने पुत्र या पुत्री पर वार लेंवें फिर उस दुर्वा को भगवान गणपति के मंदिर में विवाह की कामना से चढ़ा देवें इससे शीघ्र ही विवाह होने के आसार बन जाते हैं।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721