समाचार गढ़, 19 दिसम्बर 2024, श्रीडूंगरगढ। कालूबास के श्री मोहनलाल सोनी के सुपुत्रों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस नेहरूपार्क में धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया तथा हजारों उपस्थित श्रोताओ को बधाइयां बांटी गई। चतुर्थ दिवस की कथा करते हुए युवा संत शिवेन्द्र स्वरूपजी महाराज ने कहा कि बिना भगवद् कृपा के जीव के पास भजन करने का सामर्थ्य नहीं होता। यह परमात्मा की कृपा से ही संभव है। जिस दिन हृदय में भगवद् अनुराग उत्पन्न होता है तभी प्राणी ईश्वरोन्मुख हो पाता है।
संतजी ने कहा कि श्रीडूंगरगढ़ संतों भक्तों की भूमि है। यहाँ संतों के सान्निध्य में नैमितिक सत्संग- प्रवचन होते रहते हैं। संतों के जहाँ चरण पड़ते रहते हैं, वह क्षेत्र तीर्थ तुल्य हो जाता है। आज के दिन भागवत के नवम स्कंध तक की कथा हुई। तथा दसवें स्कंध की कथा में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की कथा के साथ ही जन्मोत्सव को मनाया गया। सोनी परिवार के रेंवतमल, मुरलीधर, सत्यनारायण, विनीत सोनी ने खुले मन से खचाखच भरे पांडाल में प्रत्येक श्रोता को बधाइयां बांटी।
आज की कथा में कहा ब्रह्मचारी संत शिवेन्द्र जी ने कहा कि भगवान पक्षपात रहित हैं, इसीलिए वे भक्तवत्सल कहलाते हैं, उन्हें सच्ची निष्ठा से अगर दैत्य भी भेजते हैं, तो वे आने में देर नहीं करते। भक्त प्रहलाद इसके उदाहरण हैं। भागवत में प्रहलाद द्वारा की गई नारायण की स्तुति अनूठी है। आपने कहा कि हम भगवान को मानते तो हैं, पर स्वीकार नहीं करते। हमारी बुद्धि में अद्वैत भाव की कमी है। मति में विकृतियाँ भरी रहने से आडम्बरों से धार्मिक कहलाना पसंद करते हैं। हम सनातनी होना तो पसंद करते हैं, किंतु भागवत में बताए तीस सनातनी गुणों को नहीं धारण करना चाहते। आपने सनातन धर्म के तीस गुणों की विशद् विवेचना की।
कथा संयोजक डॉ० चेतन स्वामी ने बताया कि शिवेन्द्र स्वरूपजी महाराज अब तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में 450 से अधिक कथाएं कर चुके हैं। वे भारत के तीर्थों में चार हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा भी कर चुके हैं। कथाओं से वंचित समय में वे बालकों को वैदिक शास्त्रों का अध्ययन करवाते हैं।
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