समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग शिविर का शुभारम्भ कल बुधवार को होने जा रहा है। यह शिविर आचार्य श्री तुलसी महाप्रज्ञ साधना संस्थान के तत्वाधान में धर्मचंद भीखमचंद पुगलिया चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क लगाया जा रहा है। शिविर तेरापंथ भवन धोलिया नोहरा कालू बास में सुबह 6.30 से 7.30 बजे तक योग एवं उसके बाद सुबह 8 बजे से 12.30 बजे तक प्राकृतिक चिकित्सा शिविर लगाया जायेगा। अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया व मंत्री मालचंद सिंघी ने बताया कि आयोजन धर्मचंद पुगलिया की स्मृति में किया जा रहा है। पिछले वर्ष भी शिविर में क्षेत्र के रोगियों ने बहुत लाभ लिया था। यह शिविर 21 सितम्बर से 20 अक्टूबर 2022 तक रहेगा। बता दें कि शिविर में अनेक बीमारियों का ईलाज पूरी तरह प्राकृतिक चिकित्सा विधि से किया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा क्या है
प्राकृतिक चिकित्सा जीवन जीने की एक शैली है प्राक्रतिक चिकित्सा का नाम आपने सुना होगा प्राकृतिक का मतलब कुदरत और चिकित्सा का मतलब इलाज. प्राकृतिक एक ऐसी डॉक्टर है चाहे कैसा भी रोग हो उसे ठीक कर देती है. यह चिकित्सा बहुत ही ज्यादा पुरानी है जब से राम ओर रावण का इतिहास है यह तब से हैं यह एक ऐसी चिकित्सा है जिसमे मनुष्य को कोई भी दवाई नहीं खिलाई जाती है सिर्फ प्रकृति के पंच तत्वों द्वारा इलाज किया जाता है जिन्हें हम आकाश तत्व , जल तत्व ,प्रथ्वी तत्व , अगनी तत्व , वायु तत्व
प्राकृतिक चिकित्सा किन तत्वों से मिलकर बनी है
प्राकृतिक चिकित्सा उन तत्वों से मिलकर बनी हुई है जो पुरे संसार में उपलब्ध है और मनुष्य आखिरी में उन्ही में लीन हो जाता है यह पुरे संसार के ओसे तत्व है जिसकी रचना स्वम भगवान ने की है
1) आकाश तत्व :- जो की एक गुण शब्द है
2) वायु तत्व :- जो की दो गुणों का शब्द है शब्द +स्पर्श जिसे बोल भी सकते है और छु भी सकते है
3) अगनी तत्व :- जो की तीन गुणों वाला शब्द है जिसे हम बोल भी सकते है छु भी सकते है और स्पर्श भी कर सकते है
4) जल तत्व :- यह चार गुणों वाला शब्द है जिसे हम बोल भी सकते है और छु भी सकते है और देख भी सकते है और पी भी सकते है
5} प्रथ्वी तत्व :- यह पांच गुणों वाला शब्द है जिसे हम बोल भी सकते है छु भी सकते है उसका रूप भी देख सकते है +रस +गंध
प्राकृतिक चिकित्सा की रचना कब हुई
दोस्तों बहुत हजारो सालो पहले इस चिकित्सा की रचना हुई थी यह रावण के जमाने की चिकत्सा है और उसके बाद महात्मा गाँधी ने इस चिकित्सा की शुरुआत की और उसे हम सबके सामने उजागर की इससे पहले यह बिलकुल लुप्त ही हो गयी थी प्राकृतिक चिकित्सा के दस मुलभुत सिदान्त है
प्राकृतिक चिकित्सा के दस मुलभुत सिदान्त
1) सभी रोग एक हा उनके कारण अनेक :-
2) रोग का कारण कीटाणु नहीं
3) तीव्र रोग शत्रु नहीं मित्र होते है
4) प्राकृतिक स्वम चिकित्सक है
5) चिकित्सा रोग की नहीं रोगी के शरीर की होती है
6) रोग निदान की विशेष आवश्यकता नहीं
7) जीर्ण रोग के रोगियों के आरोग्य लाभ में समय लग सकता है
8) प्राकृतिक चिकित्सा से दबे रोग उब उभरते है
9) मन शरीर और आत्मा तीनो की चिकित्सा साथ साथ
10) प्राकृतिक चिकित्सा में उत्तेजक दवाई का दिए जाने का प्रश्न ही नहीं