समाचार-गढ़ श्रीडूंगरगढ़ 29 जुलाई 2023।
हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है। यहां के किसानों का जीवनयापन ही खेती है यहां के किसान दिन रात मेहनत करके अन्न उपजाता है। लेकिन किसानो को हाड़ तोड़ मेहनत करते हुए पसीना बहाने के बावजूद पूरी उपज नहीं मिल पाती है। क्योंकि किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कभी सूखे का सामना तो कभी ओला वृष्टि का सामना, तो कभी अतिवृष्टि से जूझना पड़ता है। यहां तक ही किसानों के लिए दिक्कते समाप्त नहीं होती है। इस आशा उम्मीद के साथ किसान महंगे दाम देकर बड़े अरमानों के साथ फसल की बुवाई करता है कि इस बार अच्छी उपज भगवान देगा और उसके अरमान पूरे हो जाएंगे।लेकिन किसान को क्या पता कि उसके अरमानों पर संकट के बादल छा रहे हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं खेतो में खड़ी फसलों पर छाये संकट रूपी गाेजा लट की। इस बार श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में कई गांवो में गोजा लट का प्रकोप देखने सुनने को मिल रहा है।किसानों ने बताया कि इस बार खेतों में खड़ी फसलें पीली हो रही है। कई दिन तक फसलें पीली होने के बाद पौधा धीरे धीरे सूख जाता है। ओर ना ही पौधा नई जड़ अंकुरित कर पा रहा है।
किसानों ने बताया कि गोजा लट सर्वाधिक मोठ की फसल को नुकसान पहुंचा रही है । कई खेतों में खड़ी मोठ की फसल को गोजा लट चट कर गई है। किसान महंगे दामों में बीज खरीदकर एवं बुवाई देकर दुबारा बिजान करने पर मजबूर हो रहे हैं। सातलेरा गांव के किसान गौरी शंकर ने बताया कि उसने पंद्रह बीघा में मोठ का बिजान किया था जिसमें से आधी से ज्यादा फसल को गोजा लट चट कर गई है। अब गौरी शंकर ने दुबारा बिजान किया है। यह एक गौरी शंकर की बात नहीं है ऐसे कई किसान जिन्होंने दुबारा बिजान किया है। इसी प्रकार कई किसानों ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि इतनी भारी संख्या में गोजा लट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। कई किसानों ने दुबारा बिजान किया है। गोजा लट ग्वार के पौधे को कम नुकसान पहुंचा रही है। सिंचित भूमि में तो किसान जहर का छिड़काव आदि करके कुछ हद तक फसल को बचा लेते हैं लेकिन बारानी खेती करने वाले किसानों के लिए गोजा लट किसी आफत से कम नहीं है। क्योंकि बारानी खेती करने वाले किसान ना तो जहर का छिड़काव कर सकते हैं और ना ही कोई ऐसा दूसरा उपाय कि जमीन में बैठी लट पर नियंत्रण पा सके।
इस संबंध में कृषि अधिकारी कन्हैयालाल सारस्वत ने बताया कि सिंचित किसानों के लिए तो बाजार में कई तरह के जहर उपलब्ध है। जिसके छिड़काव से लट काफी हद तक कम नुकसान पहुंचाती है। सारस्वत ने बताया कि बारिश के मौसम में फिडकले जो गोजा लट के प्रोड़ होते हैं वो आसपास के पेड़ों पर इकट्ठे होकर अंडे देते हैं जिसकी वजह से इस लट का जन्म होता है।
सारस्वत ने बताया कि बारिश के मौसम में जब यह गौजा लट के प्रोड उत्पन्न होते हैं उसी समय किसान अगर सामूहिक रूप से इस प्रोड़ पर जहर का छिड़काव करके इसको अगर समय रहते समाप्त कर दें तो गोजा लट के प्रकोप से बचा जा सकता है। अन्यथा जमीन में इस लट पर नियंत्रण पाना मुश्किल होता है। सारस्वत ने बताया कि बुवाई करने से पहले किसान अपने अपने खेतो में खड़े पेड़ो की छंगाई कर दे तो पेड़ो पर फिडकले नही बैठेंगे जब फिडकले नही बैठेंगे तो अंडे भी नहीं देगे और ना ही इस लट का प्रकोप दिखाई देगा। वर्तमान में गोजा लट के प्रकोप से किसान वर्ग काफी परेशान नजर आ रहा है। क्योंकि किसानों के लिए जीवन का आधार ही खेती है।