समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ़ भागवत कथा के पांचवें दिन खचाखच भरे नेहरू पार्क में गाजे बाजे के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। नेहरू पार्क के इतिहास में इतनी उपस्थिति कभी नहीं रही। आज कथा में तिल धरने को भी जगह नहीं थी। आज से रात्रि में तीन दिनों तक संगीतमय नरसी माहेरा का गायन पं कैलाशचन्द्र सारस्वत करेंगे।
गिरधारीलाल, मुकेशकुमार, अमितकुमार पारीक द्वारा आयोजित नौ दिवसीय भागवत कथा में आज सातवें से नवें स्कंध तक की कथा को सुनाया गया। संत शिवेन्द्र स्वरूपजी के राजस्थानी भाषा में कथा कहने के मोहक अंदाज को यहां श्रद्धालुओं द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है। वैसे भी श्रीडूंगरगढ़ सत्संगी जनों का शहर रहा है।
पंचम दिवस की कथा में महाराज ने कहा कि भागवत भक्ति का सर्वोत्तम माध्यम है, यह श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।
धर्म की व्याख्या करते हुए महाराज ने कहा कि धर्म न हिन्दू होता है,न मुस्लिम। आजकल जो धर्म की व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है, वह सनातन धर्म की व्याख्या नहीं है। धर्म को जानने के लिए मनुष्य बनना जरूरी है। धर्म की सरल सी व्याख्या है- धारयति इति धर्मः। धर्म तो कर्तव्य को कहते हैं। धर्म नाम स्वभाव का होता है। जल का धर्म शीतलता है और अग्नि का धर्म ऊष्णता। जब कहा जाता है कि स्वधर्म निधनम् श्रेय तो वह अपने भीतरी मनुष्यत्व की बात होती है।
संत शिवेन्द्रजी ने कहा कि भागवत में नारद जी ने धर्म के तीस लक्षण बताए हैं। सत्य, दया, तप, शौच, तितिक्षा, युक्तायुक्त व्यवहार, सम, दम, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, दान, स्वाध्याय, सरलता, संतोष, सकाम निवृति, निषिद्ध कर्मों का त्याग, मौन, आत्म विचार ये सभी धर्म अंग भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। महाराज ने नवधा भक्ति पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। जनेऊ की वैज्ञानिकता को भी आपने विस्तार से बताया। आज कथा में अनेक प्रांतों से तथा निकट के शहरों कस्बों से श्रद्धालुओं का सम्मान किया गया। मंच संचालन चेतन स्वामी ने किया।
शिक्षा मंत्री का शीतकालीन अवकाश को लेकर बयान, 25 दिसंबर से होगा अवकाश
समाचार गढ़। प्रदेश में सर्दी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए है। इसी बीच शीतकालीन अवकाश को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने शीतकालीन अवकाश…