जनता, जमीन और भामाशाह ट्रॉमा सेंटर बनाने को तैयार…..तो जनप्रतिनिधि और प्रशासन को किसका है इंतजार
समाचार गढ़, 3 मई, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ एक बढ़ता हुआ कस्बा है जहां पिछली सरकार ने दुर्घटनाओं के आंकड़ों को देखते हुए ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल के लिए जमीन अलॉट की थी। इस जमीन के अलॉटमेंट के साथ ही उस जमीन पर वर्षों से व्याप्त दो समुदाय विशेष के लोगों का झगड़ा हमेशा के लिए समाप्त हो गया। परंतु 6 महीने बाद भी कागजों में ट्रॉमा सेंटर के लिए स्वीकृत भूमि पर शिलान्यास के बाद भी किसी भी प्रकार की सुगबुगाहट देखने को नहीं मिल रही है, सुनने में यहां तक आया है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते ट्रॉमा सेंटर हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में जा रहा है जबकि बीकानेर जिले में सबसे ज्यादा जरूरत अगर किसी तहसील को है तो वह श्रीडूंगरगढ़ तहसील को है क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं प्रतिवर्ष होती है जिनमें सैंकड़ों लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल होते हैं और 50 से अधिक लोगों की हर साल ट्रॉमा सेंटर के अभाव में मौत हो जाती है। एक तरफ जहां 3लाख से अधिक की आबादी ट्रॉमा सेंटर को बनाने के लिए उत्सुक है वहीं पर जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते ट्रॉमा सेंटर का कार्य लंबित होता जा रहा है। अब देखना यह है कि डबल इंजन की सरकार कितनी मौतों का और मंजर देखने के बाद ट्रॉमा सेंटर भवन निर्माण कार्य शुरू करती है।