जयपुर.उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के मामले में राजस्थान पुलिस की अब तक की पड़ताल और सरकार के दावे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की जांच में निराधार साबित होते दिख रहे हैं। एनआइए के मुताबिक प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि संभवत: इस हत्याकांड में कोई आतंककारी संगठन शामिल नहीं है, बल्कि क्षेत्र में खौफ फैलाने के लिए किसी गैंग ने ऐसा किया।
ऐसे में राजस्थान पुलिस का बुधवार का वह दावा खारिज होता दिख रहा है, जिसमें उसने हत्या के आरोपियों के संबंध पाकिस्तान से जुड़े होने की जानकारी दी थी। राजस्थान के पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर ने बुधवार की प्रेस वार्ता में दावा किया था आरोपी गौस मोहम्मद कराची होकर आया था। हालांकि पुलिस को यह जानकारी कब मिली, इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
एनआइए ने यह भी कहा है कि हत्या में शामिल समूह में सिर्फ दो ही लोग नहीं हैं। बल्कि 10-12 और लोग इस नृशंस हत्याकांड की साजिश में शामिल हैं। ऐसे में अब यह सवाल भी उठने लगा है कि फिर उदयपुर पुलिस ने कन्हैयालाल हत्याकांड की प्रारंभिक एफआईआर में धारा 120 (बी) अर्थात षड्यंत्र का पहलू अब तक क्यों नजरअंदाज किया।
एनआइए ने इस प्रकरण में अब गौस मोहम्मद और रियाज अख्तरी के खिलाफ हत्या और खौफ फैलाने के मामले में एफआइआर दर्ज की है। इसके अनुसार दोनों कातिलों ने खौफ और अपना दबदबा कायम करने के लिए कन्हैयालाल की हत्या की। खौफ कायम करने के मकसद से ही वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा भी किया।
एनआइए ने अब तक राजस्थान पुलिस की एसआइटी के सहयोग से कातिलों से पूछताछ की। अब दोनों कातिलों को एनआइए न्यायिक अभिरक्षा से गिरफ्तार करके पूछताछ करेगी। फिलहाल एनआइए ने राजस्थान में रखकर कातिलों से पूछताछ करने का निर्णय किया है।
यह फर्क: आतंकी व दहशत गिरोह में
राजस्थान पुलिस के एक आला अफसर ने बताया कि आतंकी ग्रुप हमेशा भीड़ वाले क्षेत्रों में लोगों को टारगेट करते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को नुकसान पहुंचा सके। जबकि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या दहशत गिरोह का काम है। इनका उद्देश्य केवल दहशत फैलाना था और इसलिए कन्हैयालाल को टारगेट किया।