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लोभ एक शक्तिशाली दुष्वृत्ति- महाश्रमण जी। मोमासर में अमावस्या में दिवाली जैसी रौनक

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समाचार गढ़, मोमासर। एक दिवसीय प्रवास के लिए आज प्रातः तेरापंथ धर्म संघ के युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी ने प्रफुललित श्रावक-श्राविकाओं के जुलूस के साथ गांव में मंगल प्रवेश किया। मोमासर में आज उल्लास का कोई पार नहीं रहा। प्रारंभ में नव निर्मित स्टेडियम में पगलिया करने के बाद आचार्य श्री हाल ही में बने तेरापंथ भवन में पधारे।
महाश्रमण जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि सारी दुरवृत्तियो में लोभ की वृत्ति पतनकारी है। व्यक्ति में सद् और दुष्प्रवृत्तियां दोनों ही प्रकार की वृत्तियां पाई जाती है,किंतु लोभ एक ऐसी वृत्ति है, जिसकी आनुषांगिक माया, अहंकार, द्वेष, आक्रोश जैसी वृत्तियां साथ जुड़ी रहती हैं।
आप ने कहा कि कषाय मुक्ति बिना आध्यात्मिक साधना के संभव नहीं है। लोभ की वृत्ति किसी में प्रबल और किसी में दुर्बल रहती है। गृहस्थ जीवन में चेष्टा यह रहे कि कषाय प्रतनु हो जाए।
महाश्रमण जी ने आज के प्रवचन में गृहस्थों के लिए कहा कि अर्थोपार्जन में नैतिक ईमानदारी बहुत आवश्यक है। न्याय नीति से अर्जित धन को ही अर्थ की संज्ञा दी गई, अन्य तरीकों से कमाया धन अर्थाभास कहलाता है। आपने इस बात पर भी बहुत अधिक बल दिया कि कभी किसी पर दोषारोपण न करें। दोषारोपण 18 शास्त्रीय पापों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि दिखावे में न जावें। बाह्य दिखावे से व्यक्तित्व नहीं बनता।
आचार्य महाश्रमण जी का मोमासर में पदार्पण आठ वर्षों बाद हुआ है। युग प्रधान बनने के बाद वे पहली दफा यहां पधारे हैं।
साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभाजी ने कहा कि मोमासर यशस्वी धरा है। तेरापंथ धर्म संघ में यहां का बड़ा योगदान रहा है। यहां समय-समय पर आचार्यों का प्रवास रहा है। यहां के श्रावक समाज की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान रही है। यहां के सुरेन्द्र पटावरी ने बेल्जियम की यूनिवर्सिटी में जैन पीठ स्थापित करवा कर उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि श्रावकों की चार कोटियां होती हैं, आराधक, कार्यकर्ता, प्रभावक और विकास योगी। विकास योगी श्रावक धर्म संघ को आगे ले जाने में अपना अतुलनीय योगदान देते हैं।
पदमचंदजी पटावरी ने कहा कि मोमासर के साथ 150 वर्षों में ढेरों प्रसंग जुड़े हुए हैं। वे सभी गौरवान्वित करनेवाले अध्याय हैं। उन्होंने मोमासर में चातुर्मास की मंगल इछना की। मुनि धर्म रूचिजी ने भी शीघ्र चातुर्मास्य घोषणा की बात कही। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा संस्थान के अध्यक्ष जगतसिंह, के एल जैन तथा बेल्जियम प्रवासी सुरेन्द्र बोरड़ ने भी अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन दिनेश मुनि ने किया।

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