Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
Samachargarh AD
HomeFrontDharmikअहंकार और कुबुद्धि डूबोनेवाली- शिवेन्द्रस्वरूप, भागवत कथा का द्वितीय दिवस

अहंकार और कुबुद्धि डूबोनेवाली- शिवेन्द्रस्वरूप, भागवत कथा का द्वितीय दिवस

Samachargarh AD
Samachargarh AD

समाचार-गढ़, श्रीडूंगरगढ। कालूबास के नेहरू पार्क में गिरधारीलाल मुकेशकुमार पारीक द्वारा आयोजित नव दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस ब्रहमचारी शिवेन्द्र स्वरूप राजस्थानी भाषा में लालित्यपूर्ण ढंग से कथा सुनाते हुए कहा कि- भगवद् अनुग्रह से भगवान की कथा सुनना संभव है। भगवद् कृपा न हो तो जीव के पास बहाने बहुत हैं, कथा मिलती नहीं। आपने कहा कि भक्ति,ज्ञान,वैराग्य की प्राप्ति सहज कहां है? सांसारिक प्रपंचों से व्यक्ति छूट नहीं पाता है। शुद्ध चैतन्य आत्मा माया से आच्छादित होकर मोह को प्राप्त रहता है। बिना विवेक के मोहावरण का उच्छेद संभव नहीं है।
महाराज श्री ने कहा कि आयु शेष रहते इच्छाओं से मुक्त होना ही वास्तविक मुक्ति है तथा मरने तक कामनाओं से बंधे रहना ही बंधन है।
आपने कहा कि आत्मदेव और कोई नहीं, यह जीवात्मा ही है जो भ्रमित होकर कुबुद्धि का संयोग करता है। अहंकार और कुबुद्धि के संग से धुंधुकारी जैसी सर्वनाशी संतान उत्पन्न होती है।
संत शिवेन्द्रजी ने कहा कि भागवत में बहुपयोगी संवाद हैं जो समाधान तक ले जाने में सुगम हैं। भागवत के छह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है- किससे कल्याण संभव है? शास्त्रों का सार क्या है? भगवान के कितने अवतार हो चुके? भगवान के अवतार का प्रयोजन क्या रहता है? परमात्मा के कार्य क्या रहते हैं तथा धर्म की स्थिति किस में रहती है? प्रत्युत्तर में आपने कहा कि मनुष्य के लिए भक्ति ही परम श्रेय है। शास्त्रों का सार विश्वास है। शास्त्र व्यक्ति में विश्वास उत्पन्न करते हैं। भगवान सत्य की रक्षार्थ अवतार ग्रहण करते हैं। सृष्टि का पालन-पोषण करना परमात्मा का कर्तव्य है। भगवान के अवतार असंख्य हैं। धर्म भागवत में स्थित रहता है।
आज दूसरे दिन भी श्रद्धालु जनों की अपार भीड़ रही, पंडाल का विस्तार किया गया। भागवत कथा के प्रारंभ में गौहाटी, मुम्बई, बनारस, दिल्ली तथा राजस्थान के अनेक शहरों से आए श्रद्धालु जनों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। बाहर आए लोगों के आवास एवं भोजन की व्यवस्था माहेश्वरी भवन में की गई है। मंचीय संचालन चेतन स्वामी ने किया।

श्रीमद्भागवत कथा के दौरान बड़ी संख्या में कथा का श्रवनपान करते श्रद्धालु।
राजस्थानी भाषा में श्रीमद्भागवत कथा सुनाते ब्रह्मचारी शिवेंद्र स्वरूप महाराज
Samachargarh AD
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!