नकली नोट, उसका असली के रूप में इस्तेमाल, नकली नोट रखना या नकली नोट बनाने या उसका उपकरण रखने पर या नकली नोट बनाने के सामान या नकली नोट बनाने या बैंक नोट से मिलते जुलते दस्तावेज का इस्तेमाल करना, भारतीय दंड संहिता की धारा 489-अ से 489-ई तक के तहत दंडनीय अपराध है। इन मामलों में देश की अदालतें जुर्माना या सात साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास या संगीन जुर्म को देखते हुए दोनों सजाएं एक साथ दे सकती हैं।
इतने सख्त कानून के बाद भी नकली भारतीय नोट लाखों-करोड़ों की तादाद में आए दिन देश के विभिन्न हिस्सों से बरामद या जब्त किए जा रहे है। वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी के बाद दो हजार रुपए की नोट जारी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने दावा किया था कि इसमें सुरक्षा के पर्याप्त फीचर रखे गए हैं, उनकी नकल करना काफी मुश्किल है। फिर भी ऐसा नहीं हुआ। जाली नोटों की समस्या बनी हुई है। आरबीआई के अनुसार वर्ष 2016 से 2023 के बीच बाजार में नकली नोटों की संख्या करीब 10.7 प्रतिशत बढ़ गई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नोटबंदी के बाद से अब तक जितने भी जाली नोट पकड़े गए हैं उनमें करीब 160 प्रतिशत नोट दो हजार रुपए के हैं। जाहिर है इसके पीछे कोई संगठित गिरोह है जिसका कोई तय मंसूबा है। हमारी जांच एजेंसियों के पास इस बात के सबूत हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की देखरेख में इस किस्म का आर्थिक अपराध चलाया जा रहा है। सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगेंद्र सिंह की माने तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों से नकली भारतीय नोट छापने तथा पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स के विमानों के जरिए नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, दुबई के रास्ते भेजने का काम करती रही है। इसका खुलासा समय-समय पर पकड़े गए लोगों से भी होता रहा है। एक अनुमान के मुताबिक आई एस आई लगभग दो हजार करोड रुपए हर साल आतंकी गतिविधियों की फंडिंग के लिए भेजती है। बहुतायत यह नकली करेंसी ही होती है।