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एडिटर एसोसिएशन ऑफ न्यूज पोर्टल द्वारा आयोजित पत्रकारिता कार्यशाला का हुआ समापन

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औपनिवेशिक प्रभाव लील रहा है हमारी भाषाः डॉ. ब्रजरतन जोशीसमाचार गढ़, बीकानेर, 1 सितंबर। स्वतंत्रता के सात दशकों बाद भी हमारा समाज औपनिवेशिक प्रभाव और दबाव से मुक्त नहीं हो पाया है। यह प्रभाव आज भी हमारी भाषा और प्रशासन पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जिससे हमारी मातृभाषा और हिंदी का महत्व घटता जा रहा है। यह विचार प्रसिद्ध कवि और आलोचक डॉ. ब्रजरतन जोशी ने एडिटर एसोसिएशन ऑफ न्यूज पोर्टल्स द्वारा रविवार को आयोजित पत्रकारिता कार्यशाला के समापन अवसर पर व्यक्त किए।डॉ. ब्रजरतन जोशी ने पत्रकारिता में हिंदी भाषा के महत्व पर विशेष सत्र में अपने विचार रखते हुए कहा कि हिंदी भाषा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने हिंदी अक्षरों की बनावट, बोलने के तरीके, और विभिन्न शब्दों के उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि हिंदी की मौलिकता कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने ‘घ’ अक्षर से बने शब्दों जैसे घर, घंटा, घटा, घना, और घनघोर के उदाहरणों के माध्यम से भाषा की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला।डॉ. जोशी ने पत्रकारों को अनायास हो रही भाषायी त्रुटियों के प्रति सचेत रहने की सलाह दी। उन्होंने बिंदी, चंद्रबिंदु का सही उपयोग, ‘र’ की चार मात्राएं, और अन्य हिंदी व्याकरण के नियमों को समझने पर जोर दिया, ताकि पत्रकारिता में भाषा की शुद्धता बनी रहे। उन्होंने भाषा के प्रति जागरूक रहने और त्रुटियों को रोकने के लिए सतत संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया।अपने संबोधन में, डॉ. जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक पढ़ाई करना और विद्वानों के आलेखों, व्याख्यानों को सुनना आवश्यक है। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित विद्वानों के कार्यक्रमों में भाग लेने का सुझाव देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल भाषा को समृद्ध करेंगे, बल्कि विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धन भी करेंगे।पत्रकारिता में सकारात्मक नजरिया और खुद को रोल मॉडल मानना जरूरी: लक्ष्मण राघवबीकानेर। जय नारायण व्यास कॉलोनी स्थित रामपुरिया आईएमएस कॉलेज परिसर में रविवार को पत्रकारिता पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में फर्स्ट इंडिया न्यूज के रेजिडेंट एडिटर लक्ष्मण राघव ने कहा कि पत्रकारों को पत्रकारिता के बेसिक्स को कभी नहीं भूलना चाहिए और उनका नजरिया हमेशा सकारात्मक होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पत्रकार को स्वयं को खुद का रोल मॉडल मानना चाहिए।कार्यशाला में उपस्थित पत्रकारों और स्टूडेंट्स को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ से जुड़ने की सलाह दी और कहा कि नियमित रूप से अखबार पढ़ने और मूवी देखने से वे अपडेटेड रहेंगे। लक्ष्मण राघव ने कहा, “एक वर्कशॉप रास्ता दिखाने का काम करती है, लेकिन उस रास्ते पर चलना पत्रकार को खुद ही पड़ता है।”इस दौरान राघव ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के लिए सही पहनावे के महत्व पर भी प्रकाश डाला, खासकर टीवी जर्नलिस्ट्स के लिए, जहां कपड़ों के रंगों का चुनाव कैमरे के अनुकूल होना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में, उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए।पत्रकार कल्याण हेतु राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं : हरिशंकर आचार्य एडिटर एसोसिएशन ऑफ न्यूज़ पोर्टल के द्वारा आयोजित पत्रकारिता कार्यशाला के तीसरे दिन अंतिम सत्र में सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय बीकानेर के उपनिदेशक हरिशंकर आचार्य ने पत्रकार एवं पत्रकारिता के पंजीकरण विषय से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध करवाई इस दौरान आचार्य ने कहा कि राजस्थान सरकार की अनेक ऐसी योजनाएं हैं जिसमें पत्रकारों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही है इसके तहत अधि स्वीकृत पत्रकार को मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराया तथा अधिस्वीकृत प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों के लिए आयोजित जर्नलिज्म वर्कशॉप के सफल संचालन हेतु आचार्य ने आयोजन समिति को बधाई दी और कहा कि इस तरह के आयोजन समय पर होते रहने चाहिए जिससे कि पत्रकार और नवीन जानकारी से अपडेट होते रहे।व्याख्यान के पश्चात हरिशंकर आचार्य को संगठन के अध्यक्ष आनंद आचार्य सचिव विनय थानवी वरिष्ठ सदस्य राजेश रतन आचार्य आदि ने स्मृति सिंह भेंट कर तथा पुष्पों की माला पहनकर हार्दिक स्वागत किया।कल्पना शक्ति और चौकन्ना रहने की आदत बनाती है बेहतरीन फोटोग्राफर: अजीज भूट्टाबीकानेर, 1 सितंबर। एक बेहतरीन फोटोग्राफर बनने के लिए कल्पना शक्ति और हर पल चौकन्ना रहने की आदत आवश्यक है। फिल्ड में रिपोर्टिंग के दौरान फोटोजर्नलिस्ट को घटनाओं को पहले से भांपने की क्षमता रखनी चाहिए। घटनाक्रम को सही समय पर कैमरे में कैद करना जरूरी है, क्योंकि एक बार घटना बीत जाने के बाद उसे वैसा ही दोबारा कैद करना संभव नहीं होता। बीकानेर के जाने-माने फोटो पत्रकार अजीज भूट्टा ने इन बातों पर जोर दिया। वे ‘फोटोग्राफी विद रिजन’ नामक विशेष सत्र में बोल रहे थे।अजीज भूट्टा ने प्रेस फोटोग्राफी की चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि एक फोटोजर्नलिस्ट को आंधी, तूफान, तीव्र धूप, या कड़कड़ाती ठंड जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी तैयार रहना चाहिए। साथ ही, उन्हें संपादक और न्यूज़ रिपोर्टर की मंशा को भी समझते हुए काम करना चाहिए, ताकि फोटो समाचार के संदर्भ में सटीक हो सके।भूट्टा ने अपने अब तक के फोटोग्राफी अनुभवों और चुनिंदा प्रेस फोटो श्रृंखला को प्रतिभागियों के साथ साझा किया। उन्होंने फोटो क्लिक करते समय मन में चल रहे विचारों और निर्णयों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार प्रेस फोटो का प्रकाशन राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक जीवन पर प्रभाव डाल सकता है।फोटोग्राफी के तकनीकी पहलुओं पर भी भूट्टा ने विस्तार से चर्चा की, जिसमें लाइट और लेंस इफेक्ट से लेकर आधुनिक एआई तकनीक के उपयोग तक की जानकारी दी। उन्होंने पुराने तरीकों से तैयार की जाने वाली फोटो प्रक्रियाओं के संस्मरण भी सुनाए। इसके अलावा, उन्होंने बीकानेर की गंगा-जमुनी संस्कृति, हवेलियों, और पारंपरिक आयोजनों की फोटोग्राफी यात्रा भी प्रतिभागियों को करवाई, जिससे उन्हें बीकानेर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने का अवसर मिला।एडिटर एसोसिएशन आॅफ न्यूज पोर्टल बीकानेर द्वारा आयोजित पत्रकारिता कार्यशाला का समापन हुआ। इस कार्यशाला मे 45 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत हुए तीन दिनों में कुल 9 सेशन मे पत्रकारिता के सैद्धांतिक व प्रायोगिक पक्षों के पत्रकारिता के क्षेत्र मे कार्यरत अनुभव लोगों से सीखा व समझा।
इस कार्यशाला मे पहले सत्र मेंजिला सूचना सम्पर्क अधिकारी भाग्यश्राी गोदारा द्वारा पत्रकारिता की अवधारणा, सम्मत कानून के साथ सामान्य जिज्ञासाओं के बारे मे बताया। तथा वक्ता राजेश रतन व्यास ने सामान्यतः प्रेस नोट व खबर की संरचना के बारे मे विस्तार से बताते हुए 5 क के महत्व को उजागर किया।
दूसरे सत्र में अनुभवी प्रेस फोटोग्राफर दिनेश गुप्ता ‘लेंस विद विजन’ पर विशेष ज्ञानार्जन करवाया। तथा वरिष्ठ पत्रकार नवीन शर्मा ने डिफेंस, हेल्थ तथा अपराध जगत की खबरों पर कार्य करने का प्रशिक्षणदिया। हरीश बी शर्मा ने पत्रकारिता में इंटरव्यू विधा पर विस्तार से जानकारी देते हुए प्रशिक्षण दिया।
तीसरे दिन अतिंम सत्र में वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण राघव ने टीवी रिर्पोटिंग की 24 घंटे की आवश्यकताओं, पत्रकारिता मे सोर्स, सुरक्षा, तथ्य, सजगता के साथ कार्य अनुभवों से रूबरू करवाते हुए विशेष प्रशिक्षण दिया।
डाॅ ब्रजरतन जोशी ने मीडिया में हिन्दी भाषा को लेकर की सामान्य त्रुटियों के सुधार तरीकों और भाषा की उपादेयता पर विस्तार से बताया। भाषा की दृष्टि से औपनिवेशिकता, पठन की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी, विषय विशेषज्ञों को सुनना चाहिए, भाषा की अशुद्धि, भाषा के प्रति उदासीनता नही रखनी चाहिए जैसे पाँच बिन्दुओं पर बल दिया।
कार्याशाला के अंतिम कालांश मे डीआईपीआर विभाग के उप निदेशक हरीशंकर आचार्य ने पत्रकारिता मे अखबारों, टीवी का पंजीयन, पत्रकारों का एक्रीडीयेशन, न्यूजपोर्टल्स से सम्बन्धित राजकीय व्यवस्था पर जानकारी साझा करते हुए पत्रकारिता की उपादेयता पर विशेष व्याख्यान दिया।
कार्यशाला के समापन अवसर पर सभी प्रशिक्षकों को स्मृति चिन्ह के साथ आभार व्यक्त किया गया।कार्यशाला का संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द आचार्य ने किया। कार्यशाला मे सफल आयोजन में विनय थानवी, योगेश खत्री, राहुल मारवाह, मनोज व्यास, सरजीत सिंह, राजेश रतन व्यास,अजीज भुट्टा, यतीन्द्र चढ्ढा की विशेष भूमिका रही।कार्यशाला में दिलीप गुप्ता, गोवर्धन सोनी, भवानी व्यास, उमेश पुरोहित, बलजीत सिंह गिल, जीतू बीकानेरी, मुरली देवड़ा, सुमेस्ता सुमीत विश्नोई, प्रकाश श्यामसुखा, प्रमोद मोदी, के के आहूजा, विक्रम पुरोहित, सुनील शर्मा, जयवीर सिंह, इमरान खान ने विशेष सहभागिता निभाई।

  • Ashok Pareek

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