दिनांक 30 -04 -2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें आचार्य राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
आज भैरव उपासना से होंगे सभी कष्ट शिघ्र दूर जानें कैसे ?
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 30/04/2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – ग्रीष्म
* अयन- उत्तरायण
* मास – वैशाख
* पक्ष- शुक्ल
* तिथि- दशमी रात्रि 20:25 बजे उपरांत एकादशी
* वार- रविवार
* नक्षत्र – मघा सायं 15:27 बजे उपरांत पूर्वाफाल्गुनी
* योग- 1 वृद्धि – प्रातः 11:11:48 बजे उपरांत 2 ध्रुव
करण-1* तैतिल – 07:24:12 A.m. 2 गर- 20:25 P.M. उपरांत 3 वणिज-
* चंद्र राशि – सिंह
चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक,धनु, कुंभ,मीन
सम्वत् नाम – पिंगल
सूर्योदय – 06:01 A.M. सूर्यास्त – 07:01 P.M.
दिनमान – 13:00
रात्रिमान – 11:00 *शुभ समय* अभिजित मुहूर्त मध्याह्न -12:07 बजे से 12:55 तक
अशुभ समय
यमगण्ड – दोपहर 12:00 से 1:30 तक राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
कालवेला या अर्द्धयाम
1. दोपहर 12:31:00 से 02:08:30 बजे तक
2. रात्रि 01:52:52 से 03:15:15 बजे तक
गुलिक काल – सायं 03:00 से 04:30 बजे तक
दिशा शूल – पश्चिम दिशा
चौघड़िया ( दिन)
1.उद्वेग- प्रातः 06:01 से 07:38:30 तक
2.चंचल-प्रातः 07:38:30 से 09:16:00 तक
- लाभ- प्रातः 09:16:00 से 10:53:30 तक
4.अमृत-प्रातः 10:53:30 से 12:31:00 तक (वारवेला निषेध)
5.काल-दोपहर 12:31:00 से 02:08:30 तक( कालवेला निषेध)
6.शुभ- दोपहर 02:08:30 से 03:46:00 तक
7.रोग-सायं 03:46:00 से 05:23:30 तक
8.उद्वेग-सायं 05:23:30 से 07:01:00 तक
चौघड़िया ( रात्रि)
1.शुभ-रात्रि 07:01:00 से 08:23:22 तक
2.अमृत -रात्रि 08:23:22 से 09:45:45 तक
3.चंचल-रात्रि 09:45:45 से 11:08:07 तक
4.रोग-रात्रि 11:08:07से 12:30:30 तक
5.काल-रात्रि 12:30:30 से 01:52:52 तक
6.लाभ-रात्रि 01:52:52 से 03:15:15 तक (कालवेला निषेध)
7.उद्वेग-रात्रि 03:15:15 से 04:37:37 तक
8.शुभ-रात्रि 04:37:37 से 06:00 तक
वार विशेष- शास्त्रों के अनुसार रविवार का समय भैरव उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ की उपासना करने से सभी कष्ट शीघ्र ही दूर हो जाते हैं। रविवार को भैरवनाथ का जप,भैरव चालीसा पाठ, आरती आदि आदि करना हितकारी रहता है। भैरव उपासना के लिए साधक पूर्व दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं तत्पश्चात भगवान भैरवनाथ का ध्यान करके एक पुष्प पर कुंकुम व चावल लगाकर के भगवान भैरवनाथ को अर्पण करें एवं संभवतः इस दिन भैरव अष्टक का पाठ अवश्य करें ।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721