समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। आदर्श शिक्षक, पर्यावरण वेत्ता, गोसेवी ताराचंद इन्दौरिया का रविवार को नगर की पैंतीस से अधिक संस्थाओं ने भव्य नागरिक अभिनंदन किया। इस अवसर पर सम्मानित शिक्षक को अभिनंदन समिति की ओर से पांच लाख ग्यारह हजार रुपये की राशि प्रदान की गई। यह सम्मान गाजे बाजे के साथ किया गया। प्रातः सम्मानित शिक्षक पर पुष्पवृष्टि कर उन्हें मंच तक लाया गया। सौ से अधिक कृतज्ञ लोगों ने मालाएं पहनाकर स्वागत किया। श्रीडूंगरगढ़ नगर के लोगों ने शिक्षक सम्मान की सारी भव्यताओं का निर्वहन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्याम महर्षि ने कहा कि एक शिक्षक के सम्मान से पूरा शिष्य समुदाय गौरवान्वित होता है। ये सम्मान सामाजिक जागृति की आधारभूमि तैयार करते हैं।
अभिनंदन समारोह समिति के अध्यक्ष उद्यमी लक्ष्मी नारायण सोमानी ने कहा कि ताराचंद जी इन्दौरिया ने अपने जीवन में सदैव परोपकारिता के भावों को प्रश्रय दिया। अपने सामाजिक सरोकार के कार्यों में सुख दुख की कभी परवाह नहीं की। अभिनंदन का तात्पर्य एक शिक्षक की पहचान को सार्वजनिक करना है। मुख्य अतिथि सुदर्शना कन्या महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डाॅ उमाकांत गुप्त ने कहा कि ताराचंद जी का सम्मान संस्कृति के वैभव का सम्मान है। विश्व जननीन चेतना के लिए कार्य करने के कारण ही भगवान राम सुपूज्य बने। विशिष्ट अतिथि प्रो विमला डूंकवाल ने इस अवसर को प्रेरणीय बताते हुए कहा कि हम जहां भी कार्य करते हैं, वहां हमारा यह ध्येय होना चाहिए कि हम अपनी ओर से इस प्रकृति को क्या दे रहे हैं। यह सम्मान गुरु शिष्य संस्कृति का सम्मान है।
प्रारम्भ में अभिनंदन समिति के मंत्री डाॅ चेतन स्वामी ने बताया कि नगर की पैंतीस संस्थाओं के पदाधिकारियों ने बड़े मन से प्रेरणीय व्यक्तित्व इन्दौरिया जी का सम्मान किया है। आगे भी शिक्षक सम्मान परम्परा को जारी रखा जाएगा।
विशिष्ट अतिथि शास्त्रज्ञ पं बालकृष्ण कौशिक ने कहा कि यह कार्यक्रम अभिभूत कर देने वाला है। पुराण रचयिता महर्षि वेदव्यास ने पुराणों में उपकार की विशद व्याख्या की है। शिक्षक उपकार का प्रत्यक्ष उदाहरण होता है। पूर्व संयुक्त निदेशक-शिक्षा अजय चौपड़ा ने कहा कि ताराचंद जी इन्दौरिया ने सदैव विद्यार्थियों को नैतिक पथ का रास्ता दिखाया। इस अवसर पर मोमासर के वयोवृद्ध शिक्षक गौरीशंकर जोशी तथा मोमासर के सरपंच जुगराज संचेती का शाॅल ओढाकर सम्मान किया। सम्मानित शिक्षक ताराचंदजी ने कहा कि जीवन को परहित में लगाने को ही समाज सेवा कहते हैं। संघर्ष तो जीवन में रहते ही हैं, पर कर्तव्यनिष्ठा के मार्ग में संघर्षों से हार नहीं माननी चाहिए। कार्यक्रम का सफल संचालन युवा साहित्यकार रवि पुरोहित ने किया। स्वजातीय जनों ने भी इन्दौरिया जी तथा उनकी श्रीमती शांतिदेवी का सम्मान किया ।
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