समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। अहिंसा यात्रा प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का बीकानेर जिले में विचरण क्षेत्र की जनता में एक नई धार्मिक जागृति लेकर आया है। वर्तमान में श्री डूंगरगढ़ में त्रिदिवसीय प्रवास पर विराजित शांतिदूत के सान्निध्य में जैन ही नहीं अपितु विभिन्न जैनेतर समाजों के लोग भी प्रवचन श्रवण कर सदाचार युक्त जीवन जीने की राह पा रहे है। प्रवास के द्वितीय दिन आचार्यश्री महाश्रमण प्रातः तुलसी सेवा संस्थान द्वारा संचालित तुलसी मेडिकल रिसर्च सेंटर में पधारे एवं परिसर का अवलोकन किया। इस अवसर पर संस्थान द्वारा हॉस्पिटल में सिटी स्कैन मशीन का लोकार्पण भी किया गया। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा का प्रेरक उद्बोधन हुआ। श्रीडूंगरगढ़ वासियों द्वारा भी आराध्य के स्वागत में अनेकों प्रस्तुतियां हुई।
धोलिया नोहरा स्थित तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए शांतिदूत ने कहा – व्यक्ति संयम और तप के द्वारा अपनी आत्मा को नियंत्रित कर सकता है, उसका दमन कर सकता है। जो स्वयं को नियन्त्रित नहीं कर सकता उसे दूसरे नियन्त्रित करने का प्रयास करते हैं। आत्मानुशासन सर्व श्रेष्ट अनुशासन है। जो अपने मन, वचन व शरीर पर अनुशासन कर लेता है वह दूसरे पर भी अनुशासन की अर्हता प्राप्त कर सकता है। अच्छा गुरु भी वही बन सकता है जो अच्छा शिष्य हो। एक शिष्य रूप में विनयशीलता, विवेकशीलता व सेवाशीलता जैसे गुण आवश्यक है। हर गुरु कभी किसी का शिष्य ही रहा होता है।
आचार्यश्री ने आगे कहा की क्षैत्र चाहे परिवार का हो, समाज का हो, संस्था या फिर राष्ट्र में लोकतंत्र या राजतंत्र का हो सभी जगह अनुशासन की अपेक्षा होती है। जिस समाज, राष्ट्र व संस्था में सब नेता बनना चाहते है भले अर्हता हो या नहीं वह राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। सेवा-भाव एक ऐसा धर्म है जो सबके लिए करणीय है व सबको इसकी अनुपालना करनी चाहिए। आत्मानुशासन हमें सेवा की सदा प्रेरणा देता है, सेवाभाव राष्ट्र, समाज व धर्म-संघ सबमें रहे। व्यक्ति आत्म साधना द्वारा स्वयं को संयमित करने का प्रयास करे यह अपेक्षा है।
इस अवसर पर श्रद्धाभिव्यक्ति करते हुए मुनि आकाश कुमार, साध्वी चरितार्थप्रभा, साध्वी कृष्णाकुमारी, साध्वी सरसप्रभा, साध्वी सुलेखाश्री, साध्वी ऋजुप्रज्ञा, साध्वी जितेंद्रप्रभा, समणी सत्यप्रज्ञा, समणी अर्हतप्रज्ञा एवं मुमुक्षु तारा ने अपने विचार व्यक्त किए। सेवा केंद्र की साध्वियों ने गीत द्वारा भाव रखे। तत्पश्चात तुलसी मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष भिखमचंद पुगलिया, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष प्रदीप पुगलिया, तुलसीराम चोरडिया, अमृतवाणी महामंत्री अशोक पारख, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री मंजू झाबक, शांता पुगलिया, पानमल नाहटा, मधु झाबक आदि ने अपने विचार रखे। ज्ञानशाला के बच्चों ने प्रस्तुति दी। सरिता रामपुरिया आदि गांव की बेटियों ने गीत का संगान किया।