
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। शहर की चिकित्सा सेवा में अग्रणी तुलसी सेवा संस्थान में आज चिकित्सकीय सेवाओं में एक महत्वपूर्ण अध्याय सीटी स्कैन मशीन के लोकार्पण से जुड़ गया।
प्रातः सवा आठ बजे शुभ मुहूर्त में तेरापंथ पंथ धर्म संघ के ग्यारहवें आचार्य महाश्रमण जी ने संस्थान में पावन पगलिए कर मंगलपाठ सुनाया। सीटी स्कैन मशीन प्रदान करने वाले रतनगढ़ के बुधमल दूगड़ परिवार के तुलसी कुमार दूगड़ की उपस्थिति में लोकार्पण कार्य सम्पन्न हुआ। प्रारंभ में संस्थान के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया ने महाश्रमण जी को चिकित्सालय की गतिविधियों से अवगत कराया।
लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य तीन तरह के रोगों से ग्रस्त रहता है, वे हैं, आधि, व्याधि और उपाधि। सबसे खराब रोग उपाधि है। अपने आपको कुछ समझकर निरंतर अहंकार को ढोना ही उपाधि रोग है। उन्होंने इस बात पर हर्ष प्रकट किया कि गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी के चरण इस चिकित्सालय प्रांगण में पड़े हैं। उन्होंने कहा कि निश्चय ही चिकित्सा क्षेत्र में इस चिकित्सालय ने ख्याति अर्जित की है, पर शारीरिक रोगों के साथ यहां मन के रोगों को दूर करने के लिए आध्यात्मिक चिकित्सा भी बहुत जरूरी है। आपातकाल में चिकित्सालय रोगी का आश्रय होते हैं, पर आज लोगों के चित्त विकृत होते जा रहे हैं। ऐसे में भावात्मक शुद्धि की बहुत आवश्यकता है।
चिकित्सालय की समस्त गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए मंत्री धर्म चंद धाड़ेवा ने कहा कि यहां सेवा केन्द्र तथा मेडीटेशन तथा योग केन्द्र भी संचालित है।
पूर्व मंत्री जतन पारख ने कहा कि हम मित्रों ने युवाकाल में यह पौधा लगाया था जो आज वट वृक्ष बन चुका है। गुरुदेव अब हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिए, जिससे हमारी सेवा भावना का विस्तार हो।
तुलसी सेवा संस्थान के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया ने कहा कि चिकित्सालय की सभी सुविधाओं में आमूल-चूल परिवर्तन किया गया है। शांता पुगलिया ने कहा कि चिकित्सालय की विस्तार योजनाओं में हम बहनों का भी योगदान रहा है। प्रशासक सूर्य प्रकाश गांधी ने आभार ज्ञापित किया।
लोकार्पण समारोह में नगर के सभी गणमान्य जन उपस्थित थे। प्रारंभ में चिकित्सालय के द्वार पर सभी का बैंड बाजों के साथ स्वागत किया गया। इस दौरान वरिष्ठ श्रावक तुलसीराम चौरड़िया, तेजकरण डागा, मालचंद सिंघी, सोहनलाल सिंघी, राजेन्द्र डाकलिया, तोलाराम पुगलिया सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।



