पापांकुशा एकादशी 2025 : विष्णु-लक्ष्मी पूजन से मिलते हैं अक्षय पुण्य
समाचार गढ़, 2 अक्टूबर 2025। सनातन धर्म में पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से व्यक्ति को जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही लक्ष्मी जी की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर-जोधपुर के निदेशक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस वर्ष पापांकुशा एकादशी व्रत 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आता है।
एकादशी तिथि
आरंभ : 2 अक्टूबर, शाम 07:10 बजे
समाप्ति : 3 अक्टूबर, शाम 06:32 बजे
व्रत तिथि : सूर्योदय के आधार पर 3 अक्टूबर
पूजा विधि
डॉ. व्यास ने बताया कि व्रती को प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु के समक्ष व्रत संकल्प लेना चाहिए। घर अथवा मंदिर में लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा स्थापित कर पंचामृत से स्नान कराएं, पीले फूल अर्पित करें और तुलसी पत्र चढ़ाना न भूलें।
शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर सात या ग्यारह बार परिक्रमा करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
जाप के लिए मुख्य मंत्र
ॐ नमो नारायणाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
ॐ विष्णवे नमः
महत्व व फल
पद्मपुराण के अनुसार पापांकुशा एकादशी का व्रत हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ सूर्ययज्ञ के समान फल देने वाला माना गया है।
इस दिन स्वर्ण, तिल, गौ, अन्न, वस्त्र, जल, भूमि, जूते और छाता आदि का दान करने से यमराज का भय समाप्त होता है।
इस रात्रि को जागरण करने वाले भक्त को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजन का विशेष महत्व
तुलसी माता को भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी माना जाता है। एकादशी पर तुलसी पूजन करने से दुखों का नाश होता है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता स्वयं निर्जला व्रत करती हैं, इसलिए उनके पत्ते तोड़ना वर्जित है। यदि भोग में तुलसी दल अर्पित करना हो तो उसे एक दिन पूर्व तोड़ लें।










