श्रीडूंगरगढ़ में ‘हर घर जल’ का सपना साकार, 108 गांवों व शहरी क्षेत्र के लिए 663 करोड़ की ऐतिहासिक पेयजल परियोजना का वर्क ऑर्डर जारी
नहरी मीठा पानी अब घर-घर; विधायक ताराचंद सारस्वत के प्रयासों से वर्षों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान
समाचार गढ़। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र की दशकों पुरानी पेयजल समस्या के समाधान की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 663 करोड़ रुपये की बहुप्रतीक्षित नहरी पेयजल परियोजना का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है। यह परियोजना 108 गांवों और शहरी श्रीडूंगरगढ़ कस्बे को नहर के मीठे पानी से जोड़ेगी।
विधायक ताराचंद सारस्वत के निरंतर प्रयासों और संवेदनशीलता के परिणामस्वरूप यह परियोजना धरातल पर आई है, जिसे क्षेत्र की जनता वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थी।
योजना 2024 में समाप्त—परंतु विधायक सारस्वत के प्रयासों से 2029 तक बढ़ाई गई
पेयजल योजना का कार्यकाल वर्ष 2024 में समाप्त हो गया था, लेकिन विधानसभा में मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए विधायक सारस्वत ने चेताया था कि
“अगर तुरंत समाधान नहीं मिला, तो गांव खाली हो जाएंगे।”
विधायक के आग्रह पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इसे केंद्र तक पहुंचाया, जिसके बाद केंद्रीय जल मंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोग से योजना को 2029 तक बढ़ा दिया गया।
इस हेतु विधायक ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
दो पैकेजों में बनेगी परियोजना
प्रथम पैकेज – ₹285 करोड़
1916 एमएल क्षमता वाला रॉ वाटर डैम
1865 केएलएच क्षमता का आधुनिक फ़िल्टर प्लांट
कंवर सेन लिफ्ट कैनाल से 40 क्यूसेक पानी की आपूर्ति
द्वितीय पैकेज – ₹372 करोड़
44 उच्च जलाशयों एवं 15 स्वच्छ जलाशयों का निर्माण
14 पंपिंग स्टेशनों की स्थापना
नहरबंदी के दौरान 30 दिन तक पेयजल उपलब्ध कराने हेतु विशाल स्टोरेज क्षमता
20 महीनों में पूरा होगा संपूर्ण कार्य।
भूजल 2000 फीट तक पहुँचा—लोगों के पलायन की नौबत
श्रीडूंगरगढ़ में भूजल स्तर लगातार गिरकर आज लगभग 2000 फीट तक पहुंच चुका है।
पीने योग्य पानी लगभग समाप्त होने की कगार पर है और कई गांवों में पलायन तक शुरू हो चुका है।
स्थानीय लोग वर्षों से टैंकर और ट्यूबवेलों पर निर्भर रहे, लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिल पाया।
“श्रीडूंगरगढ़ के भागीरथ” के रूप में उभरते विधायक सारस्वत
विधायक सारस्वत ने चुनाव के दौरान किए वादे—“हर घर तक शुद्ध जल”—को पूरा करने के लिए लगातार फाइलों का पीछा किया, विभागों पर दबाव बनाया और मुख्यमंत्री व मंत्रियों को नियमित रूप से स्थिति से अवगत कराया।
उनके प्रयासों को जनता महाराजा गंगासिंह की ऐतिहासिक नहरी उपलब्धि से तुलना करते हुए “श्रीडूंगरगढ़ के भागीरथ” की उपाधि दे रही है।
स्थानीय इतिहास की सबसे बड़ी पेयजल योजना
यह पहली बार है जब श्रीडूंगरगढ़ को इतना बड़ा नहरी जल समाधान मिला है।
परियोजना पूर्ण होने पर—
108 गांव व पूरा शहरी क्षेत्र को नहर का शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा, वह भी नहरबंदी के दौरान बिना बाधा के।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों तक विकास की मिसाल के रूप में याद रखा जाएगा।
योजना के क्रियान्वयन के लिए इन जगहों पर होगा भूमि आवंटन













