समाचारगढ़ 13 नवम्बर 2024 श्रीडूंगरगढ़। जहां देश के विभिन्न हिस्सों में दहेज उत्पीड़न और बेटी बचाओ अभियान की चर्चाएं आम हो गई हैं, वहीं बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के तोलियासर गांव में एक ऐसी शादी संपन्न हुई जिसने समाज में एक मिसाल कायम की है। इस विवाह समारोह में दहेज की प्रथा को नकारते हुए दोनों परिवारों ने बिना दहेज के शादी की और बारातियों को उपहार स्वरूप औषधीय पौधे भेंट किए, जो एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल मानी जा रही है।
सादगी और संस्कारों से भरी यह शादी बनी मिसाल
तोलियासर गांव के राजपुरोहित परिवार की बेटी रेखा कंवर का विवाह पाली जिले के आकदडा निवासी मुकेश सिंह राजपुरोहित के साथ हुआ। इस शादी में दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से किसी भी प्रकार के दहेज की मांग या लेन-देन से इनकार कर दिया। विवाह समारोह को सादगीपूर्ण ढंग से आयोजित किया गया, जिसमें न तो किसी प्रकार का नशा हुआ, न ही दहेज लिया गया। वर-वधू पक्ष दोनों ने इस शादी को पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक आदर्श शादी बनाने का संकल्प लिया।
औषधीय पौधे उपहार में देकर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
इस शादी की सबसे अनोखी बात यह रही कि वधू पक्ष ने वर पक्ष के सभी मेहमानों और बारातियों को तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, नीम, और अन्य औषधीय पौधे उपहार में दिए। इन पौधों का महत्व औषधीय गुणों के लिए होता है, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। वधू के पिता सोहन सिंह राजपुरोहित ने कहा, “हमने दहेज जैसी बुराई को दूर करने के लिए यह कदम उठाया है और सभी को पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है। पौधे एक स्थायी उपहार हैं जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक हैं।”
गौशालाओं को आर्थिक सहयोग देकर की समाजसेवा की पहल
इस सादगीपूर्ण विवाह में वर पक्ष ने भी अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाते हुए गांव की दो गौशालाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया। वर के परिवार द्वारा तोलियासर गांव की गौशालाओं में प्रत्येक को 11,000 रुपये की राशि भेंट की गई, जिससे यह विवाह समारोह न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का उदाहरण बना, बल्कि समाजसेवा की भी प्रेरणा दी।
शादी के बिना नशे के आयोजन ने दिया स्वस्थ समाज का संदेश
इस शादी में किसी भी प्रकार का नशा पूरी तरह से प्रतिबंधित था। दोनों परिवारों ने मिलकर निर्णय लिया कि विवाह समारोह में शराब, तंबाकू, या किसी भी प्रकार का नशा नहीं किया जाएगा। इस निर्णय ने शादी को सादगी और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बना दिया। इसके माध्यम से दोनों परिवारों ने एक संदेश दिया कि शादी के समारोह सादगी, संस्कार, और आपसी प्रेम के माध्यम से भी विशेष बनाए जा सकते हैं।
समाज में सकारात्मक बदलाव का उदाहरण
यह अनोखी शादी समाज में सकारात्मक बदलाव का उदाहरण बन गई है, जो दहेज जैसी कुप्रथा को दूर करने, पर्यावरण की सुरक्षा, और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है। श्रीडूंगरगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में यह शादी चर्चा का विषय बन गई है और लोग इसे प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं।
इस प्रकार यह विवाह समारोह न केवल दहेज और नशे के खिलाफ एक सशक्त संदेश लेकर आया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समाजसेवा के जरिए समाज में बदलाव की नींव रखी।