समाचार गढ़, 11 दिसम्बर 2024। आमतौर पर लोग फुल बाडी चेकअप में विटामिन-डी की जांच जरूर कराते हैं। विटामिन-डी के औसत स्तर से कम आने पर लोग घबरा जाते हैं। कुछ लोग तो डॉक्टर से सलाह लिए बगैर ही विटामिन-डी सप्लीमेंट की गोलियां लेना शुरू कर देते हैं। बता दें कि शरीर में हड्डियों के विकार के अलावा, विटामिन डी की कमी को हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, अल्जाइमर आदि से भी जोड़ा गया है। लेकिन, ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हुए अध्ययन में विटामिन-डी को लेकर वर्षों से बने मिथक को साफ किया गया है।
कैल्शियम के अवशोषण के लिए अहम
विटामिन-डी कमी का मुख्य प्रभाव कैल्शियम के अवशोषण पर पड़ता है यानी खानपान के जरिए आप जो कैल्शियम ले रहे हैं, उसके साथ विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा भी जरूरी है। वरना कैल्शियम का सही अवशोषण आपका शरीर नहीं कर पाता। बता दें कि मजबूत और स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए कैल्शियम अनिवार्य पोषक तत्व है। यह हमारी मांसपेशियों, नसों और दांतों की मजूबत बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
घर या दफ्तर के अंदर काम करने और ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से लोग धूप नहीं ले पाते हैं। यह विटामिन-डी की कमी का मुख्य कारण बताया गया है। वहीं, धूप के सीधे संपर्क में रहकर काम करने वाले जैसे स्ट्रीट वेंडर या यातायात पुलिसकर्मी, अन्य श्रमिक वर्ग के लोगों में विटामिन-डी का स्तर सामान्य रहता है। एम्स दिल्ली में हुए एक शोध में इसका आकलन करने पर पाया गया कि बिना किसी पूरक दवा के सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक पर्याप्त धूप में रहने से ही इन लोगों में विटामिन-डी का स्तर लगभग 20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर पाया गया।
क्या है विटामिन-डी?
धूप की जरूरत पौधों को भोजन बनाने के लिए होती है। इसी तरह हमारा शरीर इसका प्रयोग विटामिन-डी बनाने के लिए करता है। विटामिन-डी एक हार्मोन है, जिसका निर्माण त्वचा में सूर्य की किरणों की मदद से होता है। बता दें कि शरीर जिस विटामिन-डी का उत्पादन करता है वह विटामिन डी3 है। विटामिन-डी का मुख्य काम है कैल्शियम का अवशोषण यानी आप जो कैल्शियम लेते हैं, वह हमारा शरीर विटामिन डी की मदद से करता है।
ताकि बचपन रहे सुरक्षित
मिनट से आधा घंटे की धूप भी आपको फायदा पहुंचा सकती है।
रोजाना लंच के समय कम से कम आधा घंटा धूप में रहने या टहलने का समय निकालें।
कपड़े यूवी किरणों को रोक देते हैं, पर जो हिस्सा यानी हमारा बाजू, चेहरा, पीठ आदि हिस्सा खुला रहता है जिनसे विटामिन डी प्राप्त हो सकता है।
अगर शीशे वाले कमरे में बैठकर धूप लेना चाहते हैं, तो शीशा बंद न रखें। इससे यूवी किरणें सीधे मिल सकेंगी और विटामिन डी का लाभ मिल सकेगा।
स्किन डार्क है तो यूवी किरणों का अवशोषण नहीं होगा या लाभ कम होगा यह गलत धारणा है।
इन्हें नहीं मिल पाता विटामिन डी
घर के अंदर रहने वाले लोगों के साथ जिन इलाकों के पानी में फ्लोराइड का स्तर अधिक हो, टीबी, इपिलिप्सी या किडनी की बीमारी वाले लोगों में विटामिन डी का अवशोषण बाधित होता है। कब्ज, अपच आदि की परेशानी के साथ वजन घटाने के लिए सर्जरी कराने वाले लोगों में भी यह समस्या देखी गई है।
विटामिन का औसत सामान्य स्तर
12 नैनोग्राम प्रति मिली से ऊपर है तो आपका विटामिन-डी का स्तर सामान्य है पर यह 30 से ऊपर नहीं होना चाहिए। इसके बाद यह लाभ के बजाय नुकसान कर सकता है। हाल ही में हुए कई अध्ययन बताते हैं कि व्यावहारिक रूप से 12 नैनोप्रति मिग्रा. अच्छा है पर इसके साथ आपको कैल्शियम का भी सेवन करना चाहिए।
विटामिन डी की कमी के खतरे
विटामिन डी की कमी जानलेवा बीमारियों की आशंका बढ़ा देती है। इसकी कमी से लंबाई में कमी, हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, नवजात का वजन कम होना, वयस्क होने के बाद ओस्टियोपोरोसिस का खतरा।
दवा लेने का सही तरीका
विटामिन डी दूध में मिलाकर लेना सही नहीं है। आप पहले दवा लें इसके बाद एक ग्लास पानी, दूध या संतरे का जूस ले सकते हैं। यदि दवा को दूध में मिलाते है तो दवा की कुछ मात्रा ग्लास में ही छूट सकती है।
विटामिन डी के साथ कैल्शियम की कमी
अगर आपको विटामिन डी और कैल्शियम की कमी या फ्लोराइड विषाक्तता है तो यह हड्डियों के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। इसलिए आप हर रोज कैल्शियम का सेवन कर सकते हैं। यह भरपाई एक ग्लास दूध या 500 ग्राम कैल्शियम की गोली के रूप में हो सकती है।