समाचार-गढ़, 2 जून 2023। श्रीडूंगरगढ़ में लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के ग्यारहवें दिवस नव लेखकों को सम्बोधित करते हुए युवा संत संतोष सागर ने कहा कि जिस क्षेत्र में पूर्ण लगाव नहीं होता, वहां सफलता संदिग्ध रहती है। जिस क्षेत्र में भी उतरना चाहते हो, उसमें अपनी रुचि को उत्तरोतर बढाओ, साधना पक्की हो जाएगी। आपने कहा कि विचार के बिना लेखन प्राणहीन और प्रभावहीन होगा। विचार तो आवश्यक है। आपने कहा- जैसी दृष्टि- वैसी सृष्टि। दृष्टि में भ्रम है तो लेखन सृजनात्मक कैसे होगा? विचार शुद्धि के लिए कई उदाहरण प्रस्तुत किए। अंत में आपने कहा कि जहां शुद्धि है, वहां सिद्धि है।
नव लेखक आज बाल कहानियाँ लिखकर लाए, जिनका वाचन किया गया। डाॅ मदन सैनी ने बाल कहानी के इतिहास और उसके लिखने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि बालक के मनोविज्ञान को समझे बिना बाल साहित्य नहीं लिखा जा रहा। इन वर्षों में बच्चों को बाल साहित्य पढ़ने से वंचित किया जा रहा है। स्कूल बच्चों को बाल साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित ही नहीं करते, इसलिए वे बाल साहित्य के आस्वाद से अपरिचित ही रह जाते हैं। राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला से वे बहुत उत्साहित हैं। संस्था ऐसी प्रशिक्षण कार्यशाला प्रति वर्ष लगाने का प्रयास करेगी।
प्रशिक्षण कार्यशाला के संयोजक डाॅ चेतन स्वामी ने आज लेखन में प्रयुक्त भाषा की सावधानियों से परिचित करवाया। आपने कहा कि लेखक भाषा के माध्यम से ही पाठक के साथ रिश्ता कायम करता है। भाषा ऐसी होनी चाहिए जो पाठक को बांधने की क्षमता रखे। नव लेखकों ने लेखन से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की जिज्ञासाएं भी रखीं, जिनका उचित समाधान प्रस्तुत किया गया।
पूर्व लेखाधिकारी बजरंग शर्मा, सत्यनारायण योगी तथा साहित्यकार सत्यदीप भी उपस्थित रहे।











