समाचार-गढ़, 7 अगस्त, श्रीडूंगरगढ़। कस्बे के बाना गांव में ग्वार का पौधा जिसकी लंबाई 243 सेमी यानी करीब 8 फुट के करीब नापी गई। बाना गांव के सुभाष सिद्ध बाना ने बताया की ग्वार का शाब्दिक अर्थ गऊ आहार होता है अथार्त प्राचीन काल में इस फसल की उपयोगिता चारा मात्र् में ही थी, परन्तु वर्तमान में बदली परिस्थितियों में यह एक अतिमहत्वपूर्ण औद्योगिक फसल बन गई है । ग्वार के दानों से निकलने वाले गोंद के कारण इसकी खेती बीजोत्पादन के लिए करना आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। ग्वार राजस्थान के पश्चिम प्रदेश की अतिमहत्वपूर्ण फसल है। अतः किसान भाइयों को उन्नत कृषि तकनीक से ग्वार उत्पादन करना चाहिये ताकि उन्हें फसल से अधिक से अधिक लाभ मिल सके। दलहनी फसलों में ग्वार फली का विशेष योगदान है। यह मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। भारत में ग्वार फली के क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है। इस फसल से गोंद का उत्पादन होता है जिसे ग्वार गम कहा जाता है और इसका विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसके बीज में प्रोटीन – 18%, फाइबर- 32% और एंडोस्पर्म में लगभग 30-33% गोंद होता है।आपको बता दें कि अंग्रेजी में क्लस्टर बीन्स के नाम ग्वार की फलियोंं को सब्जी के रूप में खाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। इनमें कैल्सियम, फाइबर, फास्फोरस पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं। वहीं दिमाग को तेज करने के साथ ही हार्ट संबंधी परेशानियों को भी दूर करते हैं। ग्वार बढ़े हुए वजन को भी कम करता है। इसके अलावा डायबिटीज और कब्ज में भी ग्वार का सेवन लाभकारी रहता है।
डेंगू से करें बचाव, आयुर्वेद विभाग ने पिलाया काढ़ा, विद्यार्थी रहें निरोग
समाचार गढ़, 18 अक्टूबर। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के गाँव सातलेरा के स्कूलों में आज आयुर्वेद विभाग के राजकीय आयुर्वेद औषधालय सातलेरा के द्वारा मौसमी बीमारियों डेंगू आदि की रोकथाम के लिए…