आशीर्वाद बालाजी मंदिर प्रांगण में भागवत कथा का प्रारंभ
भागवत जीवन बदलती है– संतोष सागर
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ के आडसर बास स्थित आशीर्वाद बालाजी धाम के प्रांगण में जगदीश प्रसाद गुरावा परिवार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत महायज्ञ के प्रथम दिवस की कथा करते हुए युवा संत संतोष सागर महाराज ने कहा कि भागवत जीवन को बदलने का सूत्र देती है। कलियुग में मन का टिकाव नहीं रहता। भक्ति की ओर उन्मुख नहीं हो पाता। ज्ञान और वैराग्य के बिना भक्ति जागृत नहीं हो पाती। भागवत, भटकाव से छुड़ाकर मन को एकाग्र कर उसे परमात्मा में लगाती है।
प्रथम दिन की कथा को प्रारंभ करते हुए युवा संत ने प्रश्न किया कि भागवत कराने, मंदिरों की प्रतिष्ठा कराने, यज्ञ कराने की क्या आवश्यकता है? भागवत इस प्रश्न का व्यापक उत्तर देती है। भागवत कहती है कि कलिकाल के समस्त प्रकार के दुष्प्रभावों से बचाने का साधन भागवत कथा है।
भगवत कृपा से ही भागवत सुनने को मिलती है, सत्संग मिलती है। सत्संग प्रेमी को रोज सत्संग चाहिए। आज की कथा में आत्म देव का प्रसंग सुनाते हुए महाराज ने कहा कि घर में कलह का रहना ही पतन का कारण बनता है।
गुरावा परिवार की ओर से आज प्रातः सात बजे से मंदिर प्रांगण में नौकुण्डीय यज्ञ भी प्रारंभ हुआ। श्रद्धालु जनों ने आहुतियां प्रदान की गई। हनुमत मंदिर की मूर्तियों का अधिवास भी आज से प्रारंभ हुए। यज्ञ में अनुष्ठान करवाने के लिए रतनगढ़ से पंडितों का समूह आया हुआ है।
कथा के उपरांत सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम सारस्वत तथा ओमनाथ जाखड़ का शाॅल, माला, दुपट्टा प्रदानकर सम्मान किया गया। भागवत कथा मध्याह्न में साढे बारह बजे प्रारंभ हुई। कथा मंच का संचालन चेतन स्वामी ने किया।