समाचार गढ़, 2 सितम्बर, श्रीडूंगरगढ़। पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस श्रीडूंगरगढ़ सेवा केंद्र में मनाया गया। सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी कुंथुश्री ने उपस्थित श्रावक श्राविका समाज को कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण आत्मावलोकन का पर्व है। आत्मा के विषय में अनुप्रेक्षा, चिंतन और मनन करना स्वाध्याय है। मर्यादा पूर्वक स्वाध्याय करना स्वाध्याय है। स्वाध्याय करने से ज्ञान का विकास होता है। नए-नए ज्ञान रत्न प्राप्त होते हैं।
स्वाध्याय से जहां ज्ञानावरणीय कर्म क्षीण होते हैं वही मानसिक संबल प्राप्त होता है। स्वाध्याय एक ऐसा दर्पण है इससे व्यक्ति अपने भीतर और बाहर देख सकता है और नकारात्मक भाव को दूर कर सकता है। साध्वी ने कहा कि स्वाध्याय से व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक होता है और भाव में पवित्रता आती है। साध्वी की प्रेरणा से उपस्थित समाज ने स्वाध्याय दिवस पर समय अनुसार स्वाध्याय करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में साध्वी सुमंगलाश्री, साध्वी जीतयशा, साध्वी संपतप्रभा जी स्वाध्याय दिवस पर भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
तेरापंथ युवक परिषद द्वारा अभिनव सामायिक के बैनर का विमोचन किया गया।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य मंगलवार को आएंगी बीकानेर
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