श्रीडूंगरगढ़ में किसानों की परेशानी बढ़ी – सरकारी खरीद में बिजली बिल अनिवार्यता से 75% से अधिक किसान बाहर!
हरीराम बाना ने उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, नियम शिथिल करने की मांग**
श्रीडूंगरगढ़।
कृषि उपज की सरकारी खरीद में बिजली बिल को अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। इस नई व्यवस्था के कारण क्षेत्र के लगभग 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को खरीद प्रक्रिया से वंचित होना पड़ रहा है। शुक्रवार को इसी मुद्दे को लेकर हरीराम बाना (सदस्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी) ने उपखंड अधिकारी श्रीडूंगरगढ़ को ज्ञापन सौंपकर तत्काल राहत की मांग की।
बाना ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि संयुक्त परिवारों में अधिकतर बिजली कनेक्शन पिता या परिवार प्रमुख के नाम पर होते हैं, जबकि खेती अलग-अलग सदस्यों द्वारा की जाती है। ऐसे कई किसान, जिनके नाम पर व्यक्तिगत बिल उपलब्ध नहीं है, सरकारी खरीद के लिए पात्र ही नहीं माने जा रहे।
उन्होंने बताया कि कई किसान सिंचाई के लिए पड़ोसी या अन्य के कनेक्शन का उपयोग करते हैं, जिसके कारण उनके पास बिजली बिल मिलता ही नहीं। “किसान अपनी उपज लेकर केंद्र तक पहुंचते हैं, लेकिन बिल नहीं होने पर खरीद नहीं होती। इससे उनका श्रम, समय और परिवहन खर्च—तीनों व्यर्थ हो जाते हैं। यह दोहरी मार है,” ज्ञापन में कहा गया।
बाना का आरोप है कि राजस्थान के अन्य किसी जिले में यह अनिवार्यता लागू नहीं है, जिससे बीकानेर जिले के किसानों के साथ स्पष्ट भेदभाव की स्थिति बन रही है। उन्होंने कहा कि यह नियम खरीद प्रक्रिया को बाधित कर रहा है और किसान मानसिक रूप से भी परेशान हैं।
✍ मांगें
- बिजली बिल की अनिवार्यता को तत्काल शिथिल/समाप्त किया जाए
- गिरदावरी या अन्य वैकल्पिक दस्तावेजों के आधार पर खरीद प्रक्रिया में किसानों को शामिल किया जाए
प्रतिनिधि का कथन
हरीराम बाना ने कहा—
“सरकारी खरीद किसानों की राहत के लिए होती है, लेकिन यह नियम राहत के बजाय परेशानी बन गया है। सरकार को किसान हित में निर्णय लेते हुए तुरंत आदेश वापस लेने चाहिए।”
किसान संगठनों ने भी इस मांग का समर्थन किया है और प्रशासन से त्वरित समाधान की अपेक्षा जताई है।











