आशीर्वाद बालाजी मंदिर प्रांगण में भागवत कथा का विश्राम
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। आडसरबास के आशीर्वाद बालाजी मंदिर प्रांगण में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस की कथा सुनाते हुए युवा संत संतोष सागर ने कहा कि जो व्यक्ति भगवान के नाम का रसपान करे, वही गोपी है। भ्रमरगीत की कथा सुनाते हुए युवा संत ने कहा कि रस पगी गोपियां, ज्ञान के अहंकार में डूबे हुए ज्ञानी उद्धव को प्रेम का पाठ पढाती हैं। गोपियों का प्रेम देखकर उद्धव स्वयं प्रेमी भक्त बन जाता है।
महाराज ने कहा कि हम आप भी गोपी हो सकते हैं। गोपियों को अपनी भक्ति पर दृढ़ विश्वास है। वहां संकल्प- विकल्प तनिक भी नहीं हैं।
युवा संत ने कहा कि व्यक्ति जिस वातावरण में रहता है, वह वैसा ही हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को अपने परिवेश और वातावरण के प्रति सजग रहना चाहिए।
विश्राम दिवस की कथा में भगवद् रसिक श्रोताओं की बहुत बड़ी उपस्थिति रही। कथा मंच का संचालन करते हुए डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि हमारे जीवन में माता-पिता के प्रति तनिक भी अवहेलना नहीं रहनी चाहिए। हर आपद काल में अपने माता-पिता से राय मशविरा जरूर करना चाहिए, समस्याओं का सुन्दर हल हो जाएगा।
यहां त्रिस्तरीय धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं। सोमवार को सवा बारह बजे नव कुण्डीय यज्ञ की पूर्णाहुति होगी तथा आशीर्वाद बालाजी धाम में हनुमान, मां भद्रकाली तथा शिव परिवार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सोमवार को भण्डारा होगा।
कथा के विश्राम दिवस जेठमल गहलोत, जगदीश प्रसाद तंवर, जयनारायण सारस्वत, यज्ञाचार्य पवनकुमार सारस्वा का सम्मान किया गया।