
24 अक्टूबर 2024: गुरु पुष्य योग में अहोई अष्टमी और गुरुवार व्रत का संयोग
आज कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि के साथ तीन विशेष योग बन रहे हैं—गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और अमृत सिद्धि योग। ये योग दिनभर प्रभावी रहेंगे। इन योगों में मकान, वाहन, सोना-चांदी, और प्रॉपर्टी खरीदने से उन्नति होती है।
अहोई अष्टमी का महत्व और पूजा विधि
अहोई अष्टमी व्रत में माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपति भी यह व्रत करते हैं।
पूजा मुहूर्त: शाम 5:42 से 6:59 बजे तक।
पूजा के बाद व्रत कथा सुनने और तारों को देखने से व्रत पूर्ण माना जाता है।
गुरुवार व्रत का महत्व
गुरुवार व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा में पीले फूल, अक्षत्, हल्दी, तुलसी, चंदन, और गुड़ अर्पित किए जाते हैं।
विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
केले के पौधे की पूजा करें और हल्दी, पीले कपड़े, सोना आदि का दान करें।
इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और गुरु दोष शांत होता है।
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आज का पंचांग
तिथि: अष्टमी – 25 अक्टूबर, 1:58 एएम तक
नक्षत्र: पुष्य – पूरे दिन
योग: साध्य – 25 अक्टूबर, 5:23 एएम तक, फिर शुभ
चंद्रमा की स्थिति: कर्क राशि
दिशाशूल: दक्षिण दिशा
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त
सूर्योदय: 6:26 एएम
सूर्यास्त: 5:37 पीएम
चंद्रोदय: 11:47 पीएम
चंद्रास्त: 1:26 पीएम (25 अक्टूबर)
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अहोई अष्टमी के विशेष मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 4:44 एएम से 5:35 एएम
अभिजीत मुहूर्त: 11:39 एएम से 12:24 पीएम
तारों को देखने का समय: 6:06 बजे शाम से
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अशुभ समय
राहुकाल: 1:25 पीएम से 2:49 पीएम
गुलिक काल: 9:14 एएम से 10:38 एएम
आज के गुरु पुष्य योग और अन्य शुभ योगों के कारण हर शुभ कार्य के लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी माना गया है।