प्रेम संसार का पांचवां पुरुषार्थ– संतोष सागर
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। मोहन प्रेम बिना नहीं मिलता,चाहे करलो लाख उपाय। भगवद् प्रेम की व्याख्या करते हुए युवा संत संतोष सागर महाराज ने आडसरबास के आशीर्वाद बालाजी मंदिर प्रांगण में गुरावा परिवार द्वारा आयोजित भागवत सप्ताह में पंचम दिन की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान को बांधने का धागा प्रेम ही है। ब्रज की गोपियों ने तो प्रेम को संसार का पंचम पुरुषार्थ तक कह दिया। यशोदा मइया ने भगवान को उखल से बांध दिया।
महाराज ने कहा कि हृदय में प्रेम नहीं है तो भगवान की कथा सनने का कोई फायदा नहीं। भगवान को हर समय अपने घर का सदस्य ही मानना चाहिए। घर के सदस्य को हम कभी भूलते हैं क्या? हम अपने बच्चों से प्रेम करते हैं, इसलिए उनकी बडाई कितनी ही बार सुनलें, मन नहीं अघाता, ऐसे ही भगवान की कथाओं से मन नहीं भरना चाहिए, वे सदैव ही नवीन रहती हैं।
भागवत कथा के दसम स्कंध की कथा सुनाते हुए युवा संत ने कहा कि पंडित गर्गाचार्य ने भगवान का नामकरण किया। नाम रखा कृष्ण। कृष्ण का आशय होता है आकर्षित करने वाला। कृष्ण जन्म लेते ही मनुष्य तो मनुष्य, प्रकृति की प्रत्येक वस्तु को आकर्षित करने लगे।
आज की कथा के उपरांत सुरजनसर ग्राम पंचायत के सरपंच ओमप्रकाश गुरावा, बेरासर के राजेन्द्र गुरावा, नेमचंद गुरावा, बामनवाली के नागरमल सारस्वा का सम्मान किया गया।
आशीर्वाद बालाजी मंदिर में स्थापित होनेवाली मूर्तियों का आज घृताधिवास किया गया।
बता दें कि 14 अप्रैल को रात्रि जागरण के पश्चात 15 अपै्रल को अभीजीत मुहूर्त में दोपहर सवा बारह बजे 9 कुण्डीय यज्ञ की पूर्णाहूति हवन के साथ मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होगी। मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के बाद महाप्रसाद का भण्डारा होगा।