दिनांक 03- 05-2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
ईलायची खाने से होती है व्यापार में उन्नति जानें कैसे ?
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 03/ 05 /2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – ग्रीष्म
* अयन- उत्तरायण
* मास – वैशाख
* पक्ष- शुक्ल
* तिथि- त्रयोदशी रात्रि 11:46 बजे उपरांत चतुर्दशी
* वार- बुधवार
* नक्षत्र – हस्त रात्रि 20:53 बजे उपरांत चित्रा
* योग- हर्षण प्रातः11:23:24 बजे उपरांत वज्र
करण- 1 कौलव-11:35 A M. 2 तैतिल -23:46 P.M. उपरांत गर-
चंद्र राशि – कन्या
चंद्र बल – मेष, वृषभ, कर्क,सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर,मीन
सम्वत् नाम – पिंगल
सूर्योदय – 05:59 A.M. सूर्यास्त – 07:03 P.M.
दिनमान – 13:04
रात्रिमान – 10:55 *अशुभ समय* यमगण्ड - प्रातः 7:30 से 9:00 तक राहुकाल- दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
कालवेला या अर्द्धयाम
- प्रातः 09:15 से 10:53 बजे तक
- रात्रि 03:14:15 से 04:35:37 बजे तक
गुलिक काल – प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
दिशा शूल – उत्तर दिशा में यात्रा विशेष वर्जित एवं यथासंभव सभी दिशाओं की यात्राओं को टालें
चौघड़िया ( दिन)
1.लाभ- प्रातः 05:59 से 07:37 तक
2.अमृत-प्रातः 07:37 से 09:15 तक
3.काल-प्रातः 09:15 से 10:53 तक (कालवेला निषेध)
4.शुभ-प्रातः 10:53 से 12:31 तक
5.रोग- दोपहर 12:31 से 02:09 तक(वारवेला निषेध)
6.उद्वेग-दोपहर 02:09 से 03:47 तक
7.चंचल- सायं 03:47 से 05:25 तक
8.लाभ-सायं 05:25 से 07:03 तक
चौघड़िया ( रात्रि)
1.उद्वेग-रात्रि 07:03 से 08:24:52 तक
2.शुभ-रात्रि;08:24:52 से 09:46:45 तक
3.अमृत-रात्रि 09:46:45 से 11:08:37 तक
4.चंचल-रात्रि 11:08:37 से 12:30:30 तक
5.रोग-रात्रि 12:30:30 से 01:52:22 तक
6.काल-रात्रि 01:52:22 से 03:14:15 तक
7.लाभ-रात्रि 03:14:15 से 04:35:37 तक(कालवेला निषेध)
8.उद्वेग-रात्रि 04:35:37 से 05:57 तक
विशेष दिन- प्रदोष व्रत
विशेष – बुध ग्रह को व्यापार का प्रबल कारक माना जाता है। एक व्यापारी की जन्म कुंडली एवं गोचर कुंडली में बुध ग्रह के प्रबल होने पर ही व्यापारिक स्थिति प्रबल रहने के आसार रहते है अन्यथा व्यापारिक स्थिति बाधित हो सकती है। अतः बुध ग्रह को प्रबल बनाने के लिए बुधवार के दिन हरी इलायची अवश्य खाएं। इससे व्यापारिक क्षेत्र में सुधार आने के प्रबल आसार रहते हैं।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721