समाचार-गढ़, 15 फरवरी 2023, श्रीडूंगरगढ़। सनातन श्मशान भूमि परिसर में गौमाता भंडारा गौशाला समिति द्वारा आयोजित रामकथा के चतुर्थ दिवस की कथा करते हुए कथावाचक भाई संतोष सागर जी ने कहा कि राम के निकट आतुर और दुखी आता है, तो वह सहज ही प्रसन्नता का वरण कर लेता है। भगवान को कभी भी अपने से दूर न समझें। रामकथा के प्रसंग को सुनाते हुए भाईश्री ने कहा कि अयोध्या में भगवान शंकर भी रामजी के दर्शन कर भावविह्वल हो गए। भगवान के दर्शन से शिव को अलौकिक शांति प्राप्त हुई, जिससे वे अपनी सुधबुध भूल गए। युवा संत ने कहा कि प्रभाव और अभाव दोनों स्थितियों में भगवान के नाम का स्मरण करते रहें,प्रयास करो यह हमारा स्वभाव बन जाए। उन्होंने कहा कि रामकथा अंतःकरण की कथा है। भरतजी की बारे में उन्होंने कहा कि भरतजी प्रेमा स्वरूप हैं। भरतजी का स्मरणमात्र हर किसी को प्रेम रस से भर देता है। कथा के दौरान युवा संत ने कहा कि आदमी को खतरा भीतर के शत्रुओं से रहता है। काम क्रोध मद लोभ ये भीतर के शत्रु हैं। संस्कारों की बात कहते हुए आवश्यकता जताई कि
गर्भाधान के दौरान यह चाहत रहनी चाहिए कि हे प्रभु कोई आपका ही दूत जन्म ले। हमारे यहां पशुओं की भांति भोग की संस्कृति नहीं रहनी चाहिए।
आज की कथा के यजमान हड़मानमल दुसाद थे। आज की कथा के दौरान बहुत संख्या में गोभक्त जनों ने अपना आर्थिक योगदान किया। मांगीलाल S/O मोहनलाल जी पुरोहित परिवार गौमाता भंडारा गौशाला समिति में एक दो मंजिला भवन एवं प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य चालू है।

