दिनांक 27- 04-2023 के पंचांग के साथ जाने और भी कई खास बातें आचार्य राजगुरू पंडित रामदेव उपाध्याय के साथ
आम खाने से होता है शिक्षा में सुधार जानें कैसे ?
श्री गणेशाय नम:
तिथि वारं च नक्षत्रं
योगो करणमेव च ।
पंचागं श्रृणुते नित्यं
श्रीगंगा स्नानं फलं लभेत् ।।
शास्त्रों के अनुसार नित्य पंचांग के तिथि, वार, नक्षत्र ,योग ,करण आदि पांच अंगों को सुनने से गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है अतः नित्य पंचांग अवश्य सुनना चाहिए।। *आज का पंचांग*
दिनांक- 27/04/2023
श्री डूंगरगढ़
अक्षांश – 28:06
रेखांश – 74:04
पंचांग
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
* ऋतु – ग्रीष्म
* अयन- उत्तरायण
* मास – वैशाख
* पक्ष- शुक्ल
* तिथि- सप्तमी दोपहर 13:35:36 बजे उपरांत अष्टमी
* वार- गुरुवार
* नक्षत्र – पुनर्वसु प्रातः 06:56 बजे उपरांत पुष्य
* योग- धृति प्रातः08:43:36 बजे उपरांत शूल
- करण- 1 वणिज- 13:35:36 P.M.
2 विष्टि (भद्रा) – 26:47:06 A.M. उपरांत बव- चंद्र राशि – कर्क
चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन
सम्वत् नाम – पिंगल
सूर्योदय – 06:04 A.M. सूर्यास्त – 06:59 P.M.
दिनमान – 12:55
रात्रिमान – 11:04*शुभ समय* अभिजित मुहूर्त मध्याह्न - 12:07:30 बजे से 12:55:30 तक
अशुभ समय
यमगण्ड – प्रातः 6:00 से 7:30 बजे तक राहुकाल- दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक
*(विशेष- राहुकाल चक्र भारत के दक्षिण संभाग में ही मान्य है दक्षिण संभाग के लोगों को शुभ कार्यो में राहु काल के समय का त्याग करना चाहिए किंतु उत्तर भारत में राहुकाल का समय शुभ कार्यों में त्यागने की आवश्यकता नहीं है । ) **
- चंद्र राशि – कर्क
कालवेला या अर्द्धयाम
1. सायं 03:45:15 से 05:22:07 बजे तक
2. रात्रि- 12:31 से 01:54 बजे तक
गुलिक काल – प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में यात्रा वर्जित है
चौघड़िया ( दिन)
1.शुभ- प्रातः 06:04 से 07:40:52 तक
2.रोग-प्रातः 07:40:52 से 09:17:45 तक
3.उद्वेग-प्रातः 09:17:45 से 10:54:37 तक
4.चंचल-प्रातः 10:54:37 से 12:31:30 तक
5.लाभ-दोपहर 12:31:30 से 02:08:22 तक
6.अमृत-दोपहर 02:08:22 से 03:45:15 तक
7.काल-सायं 03:45:15 से 05:22:07 तक (कालवेला निषेध)
8.शुभ-सायं 05:22:07 से 06:59 तक (वार वेला निषेध)
चौघड़िया ( रात्रि)
1.अमृत-रात्रि 06:59 से 08:22 तक
2.चंचल-रात्रि 08:22 से 09:45 तक
3.रोग-रात्रि 09:45 से 11:08 तक
4.काल-रात्रि 11:08 से 12:31 तक
5.लाभ-रात्रि 12:31 से 01:54 तक(कालवेला निषेध)
6.उद्वेग-रात्रि 01:54 से 03:17 तक
7.शुभ-रात्रि 03:17 से 04:40 तक
8.अमृत-रात्रि 04:40 से 06:03 तक
विशेष – गुरु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों में महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गुरु बृहस्पति को आयु, शिक्षा और आध्यात्मिकता आदि का कारक माना जाता है शास्त्रों के अनुसार गुरु ग्रह को प्रबल बनाने हेतु गुरुवार के दिन व्यक्ति को आम या अन्य कोई पीले रंग के फल अवश्य खाने चाहिए।
राजगुरु पंडित रामदेव उपाध्याय ( शास्त्री-आचार्य ,ज्योतिष विद्, बी.ए.)
भू.पू. सहायक आचार्य
श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय
श्री डूंगरगढ़
M.N. 9829660721