समाचार गढ़, 7 सितम्बर, श्रीडूंगरगढ़। पर्युषण महापर्व के सातवें दिन प्रेक्षाध्यान दिवस का आयोजन श्रीडूंगरगढ़ सेवा केंद्र में किया गया। ध्यान पर साध्वी कुंथुश्री ने फरमाया कि एक आलंबन पर चित्त को एकाग्र करना ध्यान है। आत्मा के द्वारा आत्मा को देखना ध्यान है। ध्यान के चार प्रकारों का विवेचन करते हुए साध्वी ने कहा कि अंतर ध्यान व रौद्र ध्यान अप्रशस्त ध्यान है और धर्म व शुक्ल ध्यान प्रशस्त ध्यान है। प्रशस्त ध्यान से जीव सद्गति को प्राप्त करता है और अप्रशस्त ध्यान से दुर्गति प्राप्त होती है। ध्यान की एकाग्रता के लिए श्वास का आलंबन लिया जा सकता है। दीर्घश्वास से मन एकाग्र होता है और चित्त निर्मल बनता है। जिसकी श्वास प्रेक्षा सध जाती है उसका मन एकाग्र हो जाता है। तत्पश्चात साध्वी ने भगवान महावीर के नंदनमुनि के भव का वर्णन बहुत ही सुंदर शैली में प्रस्तुत किया। साध्वी सुमंगलाश्री ने उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन किया और आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा रचित गीत “आत्म साक्षात्कार प्रेक्षा ध्यान के द्वारा” का संगान किया। साध्वी सुलेखा श्री जी ने ध्यान दिवस की महत्ता पर अपने सारगर्भित विचार रखे।
मुमुक्षु भीखमचन्द नखत का मंगल भावना कार्यक्रम आयोजित मुमुक्षु दीक्षित होकर गुरु इंगित की आराधना करते रहें: साध्वी कुंथुश्री
समाचारगढ़ 9 अक्टूबर श्रीडूंगरगढ़। श्रीडूंगरगढ़ साध्वी सेवा केंद्र में वयोवृद्ध साध्वियों के दर्शनार्थ पहुंचे मुमुक्षु भीखमचन्द नखत को सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कुंथुश्री ने मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा…