संगीत जीवन की रिक्तता को भरता है– संतोष सागर। पप्पू मारू को श्रीजसवंतमल राठी संगीत भूषण सम्मान
समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। गुणीजन सम्मान समारोह समिति के तत्वावधान में रविवार को गायक एवं संगीतकार पप्पू मारू को श्रीजसवंतमल राठी संगीत भूषण सम्मान से नवाजा गया। सम्मान में इक्कीस हजार रुपये की राशि, शाॅल, श्रीफल, सम्मान पत्र समर्पित किया गया। सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता युवा संत संतोष सागर ने कहा कि संगीत में परमात्मा को प्राप्त करने की विरल शक्ति होती है। संगीत जीवन की रिक्तता को भरता है। उन्होंने कहा कि संगीत और असंगीत में इतना ही अंतर है, असंगीत सिरदर्द बढा देता है और संगीत सिरदर्द मिटा देता है। अवसाद की दवा है संगीत। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डाॅ मदन सैनी ने कहा कि सामवेद की ऋचाओं से संगीत का प्रारम्भ हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दर्शन गीता की रचना गीतमय की, ताकि वह अधिक ग्राह्य हो सके। कार्यक्रम के अध्यक्ष राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि संगीत एक मोहिनी विद्या है। राजस्थान कलाओं में बहुत आगे रहा है। हमारे क्षेत्र में बड़े बड़े संगीतज्ञ हुए हैं। उन्होंने कहा कि पप्पू मारू जैसे गायक के सम्मान से कस्बे का गौरव बढा है। कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्यकार डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि गुणीजन सम्मान समारोह समिति अंचल के गायक संगीतकारों को सम्मान देकर नगर की सांस्कृतिक थाती को बचाए हुए है। समिति के अध्यक्ष लाॅयन महावीर माली ने कहा कि प्रति वर्ष अनेक प्रतिभाओं को यथोचित सम्मान प्रदान करने के तहत अबतक पच्चीस संगीतकारों का सम्मान किया जा चुका है। इस अवसर पर संस्था से जुड़े डाॅ एस के बिहानी, श्याम आर्य, रामचन्द्र राठी, विजय महर्षि, सुशील सेरड़िया, रवि पुरोहित, अशोक पारीक, धीरज सारस्वत, तुलसीराम चौरड़िया, राजेन्द्र स्वामी ने भी माला पहनाकर स्वागत किया गया। नगर के सभी गणमान्य रसिकजनों की मौजूदगी रही।