
समाचार गढ़ 22 अप्रैल 2025 स्थानीय न्यायालय परिसर सोमवार को “अर्थ डे” के अवसर पर हरियाली से सराबोर हो उठा, जब न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और कोर्ट स्टाफ ने मिलकर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपाल जानी और एसीजेएम हर्ष कुमार ने पौधा लगाकर की।
जीवन के संरक्षण का प्रतीक है पौधारोपण – एडीजे जानी
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपाल जानी ने इस मौके पर कहा कि पौधारोपण केवल पर्यावरण की रक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि यह जीवन के संरक्षण और संतुलन का प्रतीक है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए।


वनों की कटाई चिंता का विषय – एसीजेएम हर्ष कुमार
कार्यक्रम में एसीजेएम हर्ष कुमार ने पर्यावरण संरक्षण को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि आज के दौर में जंगलों की अंधाधुंध कटाई गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। उन्होंने पश्चिमी राजस्थान की जैवविविधता को बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत पर बल दिया और आमजन से पौधों की देखभाल करने का आग्रह किया।
प्रकृति की रक्षा सामूहिक जिम्मेदारी – बार अध्यक्ष प्रजापत
बार संघ अध्यक्ष सत्यनारायण प्रजापत ने “अर्थ डे 2025” की थीम “हमारी ताकत, हमारा ग्रह” को दोहराते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को तीन गुना बढ़ाना इस थीम का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा केवल किसी एक की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है और इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा।
अधिवक्ताओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी
बार मीडिया प्रभारी एडवोकेट पुखराज तेजी ने बताया कि इस कार्यक्रम में लोक अभियोजक गोपीराम जानू, अभियोजन अधिकारी सपन कुमार, एडवोकेट राधेश्याम दर्जी, लेखराम चौधरी, सोहन नाथ सिद्ध, पूर्व सचिव गणेशराम मेघवाल, धर्मेंद्र सिंह शेखावत, सचिव ओमप्रकाश मोहरा, सुखदेव व्यास, किशन स्वामी, कैलाश व्यास, गोपाल पारीक, कोर्ट स्टाफ रामावतार प्रजापत सहित अनेक अधिवक्ताओं और न्यायालय कर्मचारियों ने भाग लिया। सभी ने पौधे लगाकर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया।
हरियाली के इस प्रयास ने दिया उम्मीद का संदेश
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने पौधों की नियमित देखभाल का वचन लिया। न्यायालय परिसर में हुआ यह पौधारोपण न केवल एक औपचारिकता रहा, बल्कि यह आने वाले समय में पर्यावरण के प्रति समाज की सोच को बदलने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम साबित होगा।