समाचार गढ़, श्रीडूंगरगढ़। सनातन धर्म यात्रा के तहत पारीक चौक, रामनाथ सदन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में भाई श्री संतोष सागर महाराज ने बताया कि भगवद् भाव कल्याणकारी तो है ही इह लोक व्यथाओं को भी हरनेवाला है। भगवान के भजन का अभ्यास कदापि छुटे नहीं ऐसा प्रयास सदैव रहना चाहिए।भगवद् भजन के मार्ग में बाधाएं बहुत आती है।
कृष्ण जन्मोत्सव पर व्याख्यान करते हुए कहा कि बच्चे के जन्म के समय उसके कानों में भगवद नाम, गीता के श्लोक,रामचरित मानस की चौपाईयां एवं ॐ का उच्चारण सुनाना चाहिए। उन्होने कहा कि संसार में जन्म एवं मृत्यु दो बड़ी आश्चर्यकारी संज्ञाएं हैं, पर ये सिर्फ परमात्मा के ही हाथ में हैं।
हमारे सनातन शास्त्रों में पत्नी को धर्म पत्नी कहा जाता है,अन्य धर्मो में केवल उसे स्त्री ही समझा जाता है।बड़ा दुःख होता है आज वैवाहिक सम्बन्ध क्रय विक्रय की तरह हो गये है। हर घर में वेद, उपनिषद, गीता होनी चाहिए भाईश्री हर दिन जिले की अलग अलग स्कूलों में जाकर भगवद्गीता का प्रचार व युवाओं को रोज भगवद्गीता पढ़ने का संकल्प दिला रहे हैं। उनका कहना है कि प्रतिदिन कुछ समय अध्ययन के लिए रहना चाहिए। मनुष्य को वाणी में पवित्रता रखनी चाहिए ।
संत समागम के तहत आज ब्रह्य गायत्री आश्रम के श्री रामेश्वरानन्द महाराज पधारे, उन्होंने सनातन धर्मयात्रा पर अपना पूरा सहयोग देने का कहा, बाबूलाल मोहता ने गौ,गंगा,गौरी (लङकी) की रक्षा करने का कहा, कालू के सुरेश डूढाणी, हनुमान जोशी, श्याम तिवाड़ी, श्रीलाल पारीक का सम्मान किया गया। इनको महाराज ने अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
आज की कथा के यजमान देवकृष्ण पारीक एवं उनकी धर्म पत्नी थे।