भारतीय जनता पार्टी में टिकट वितरण के बाद उठे सियासी विवाद को खत्म करने के लिए अब आला नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अजमेर, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर झुंझुनू, राजस्थान सह – प्रभारी विजया राहटकर सांचौर, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया श्रीगंगानगर और अरुण सिंह ने में जयपुर में रूठों को मनाने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मैनेज करने की कवायद शुरू कर दी है।
बीजेपी की पहली लिस्ट के बाद जहां प्रदेशभर में चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। वहीं, अब पार्टी विद द डिफरेंस अब डिफरेंट मोर्चे पर लड़ती नजर आ रही है। इस चुनाव में कहने को तो बीजेपी कांग्रेस से मुकाबला करती नजर आ रही है लेकिन जिस तरह से वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं के टिकट काटे गए हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस के अलावा बीजेपी वसुंधरा राजे से भी शीत युद्ध लड़ रही है।
बीजेपी की पहली लिस्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि सिर्फ कांग्रेस और वसुंधरा राजे ही नहीं। बल्कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस जंग का हिस्सा बन चुका है। क्योंकि पहली लिस्ट में संघ के नेताओं को भी जगह नहीं मिली है। जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट से संघ पदाधिकारी ने प्रताप भानु को टिकट देने की सिफारिश की थी।
संघ नेताओं के कहने के बाद प्रताप भानु ने झोटवाड़ा में प्रचार के लिए पोस्टर छपवा दिए और घर-घर जनसंपर्क भी शुरू कर दिया था। लेकिन बीजेपी ने वसुंधरा राजे के करीबी राजपाल और संघ के विश्वसनीय प्रताप भानु को दरकिनार करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ अपना उम्मीदवार बना दिया।
जिससे राजस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी काफी नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं, भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी भी टिकट कटने से ना खुश है। उन्होंने टिकट कटने के लिए राजस्थान बीजेपी के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मैं पिछले दो महीने से उनसे मुलाकात के लिए वक्त मांग रहा था। लेकिन न जाने चंद्रशेखर ऐसे कहां व्यस्त थे। जो पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक तक से नहीं मिल पाए।
बीजेपी में टिकट वितरण के बाद जहां नाराज और रूठे नेताओं को मनाने की कवायद तेज हो गई है। वहीं अपने करीबी नेताओं के टिकट कटने के बावजूद वसुंधरा राजे अब पार्टी की दूसरी लिस्ट का इंतजार कर रही है। उन्होंने अपने करीबी नेताओं को कमल पर विश्वास रखने के साथ ही धैर्य रखने की सलाह दी है। ऐसे में यह देखना काफी रोचक होगा कि पिछले साढ़े चार साल से मुख्यधारा में आने का इंतजार कर रहीं वसुंधरा राजे क्या दूसरी लिस्ट के बाद भी खुद धैर्य रख पाएगी।
सिर्फ वसुंधरा राजे ने ही नहीं बल्कि, पार्टी ने भी उनको लेकर धैर्य बना रखा है। राजस्थान बीजेपी चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि केंद्र में जेपी नड्डा के बाद वसुंधरा राजे ही बीजेपी की दूसरी सबसे बड़ी नेता है। हमारी पार्टी में कोई गुट या खेमा नहीं है। सिर्फ कमल ही हमारी पहचान है।