समाचार-गढ़, 26 मई 2023। लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला के चतुर्थ दिवस श्रीडूंगरगढ़ पुस्तकालय सभागार में नव लेखकों को सम्बोधित करते हुए पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डाॅ एम पी बुडानिया ने कहा कि एक लेखक के लिए यह आवश्यक है कि उसका लिखा समाजोपयोगी बने। वह समाज को दृष्टि प्रदान करता है। कलम में बहुत बड़ी ताकत होती है। जिस देश में कलम की ताकत घटने लगती है, वह गुलामी का शिकार हो जाएगा। डाॅ बुडानिया ने कहा कि यह चिंताजनक है कि हमारे समाज में सत्य को निरुपित करनेवाले रचनाकारों की बेहद कमी होती जा रही है। लेखक सत्य का ध्वजवाहक होता है। डाॅ बुडानिया ने इस बात पर जोर दिया कि जब आपने लेखक बनने की ठान ही ली है तो इसमें किसी चीज की कमी न रखें। निरंतर अभ्यास और अध्ययन करते रहें।
आज नव लेखकों में अशोक पारीक, सांवरमल गोदारा, गोपी पूनिया, यशोदा शर्मा, समीर खान, फाल्गुनी राठी, कृष्णावतार सारस्वत, मुन्नीराम सियाग, पवन सिद्ध, अंबिका जैन, मोहित आचार्य, ममता शर्मा ने स्व लिखित गद्य-पद्य की रचनाएं प्रस्तुत की।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा आयोज्य लेखन प्रशिक्षण कार्यशाला में तीस के लगभग नव लेखकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आज के प्रशिक्षण में डाॅ चेतन स्वामी ने कहा कि हौसला बना रहा तो श्रीडूंगरगढ़ से एक बार नए लेखकों की फौज सामने आएगी। श्रीडूंगरगढ़ की धरती अपनी साहित्यिक गरिमा को बनाए रख सके, इसलिए कुछ नए लेखकों को तैयार किया जा रहा है। नए लेखकों को आसानी से मंच प्राप्त नहीं होता, हम इन्हें मंच प्रदान करेंगे।



