समाचार गढ़, 18 अक्टूबर। श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिविर में झंझेऊ सहित विभिन्न स्थानों के 85 शिविरार्थियों ने सामूहिक संस्कारमयी कार्यप्रणाली पर आधारित प्रशिक्षण प्राप्त किया।
शिविर संचालन संघ के केंद्रीय कार्यकारी गजेन्द्र सिंह आऊ ने विदाई संदेश में कहा कि शिविर के दौरान अभ्यास के माध्यम से हमने गीतानुसार क्षत्रियोचित जीवन जीने का व्यावहारिक अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने भीतर सद्गुणों का विकास और दुर्गुणों का विनाश करना है। संघ पिछले लगभग 80 वर्षों से समाज में सामूहिक संस्कारमयी कर्मप्रणाली के माध्यम से युवक-युवतियों में संस्कार निर्माण का कार्य कर रहा है।


उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक महापुरुषों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत है। हमने यहां समय का त्याग किया है और यह त्याग भाव हमें पूर्वजों की परंपरा से मिला है। संघ द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने के लिए शारीरिक बल के साथ ईष्ट बल व मनोबल को भी सुदृढ़ रखना आवश्यक है। व्यक्तिगत हितों को समाजहित में बदलना ही सच्चा संघकार्य है।
गजेन्द्र सिंह आऊ ने कहा कि जागरूकता ही व्यक्तिगत कमियों को दूर करने का माध्यम है। हमें अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का ध्येयनिष्ठा से पालन करना है। संघ की शिक्षा को व्यवहार में लाना ही सच्ची साधना है, इसलिए शाखाओं और शिविरों से निरंतर जुड़े रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसे शिविर पुनः आयोजित होंगे, इसलिए पुनः स्वागत के लिए सदैव तैयार रहें। माननीय संघप्रमुख श्री की ओर से शिविरार्थियों को विदाई दी गई।

शिविर में झंझेऊ, पुन्दलसर, लखासर, धर्मास, मिंगसरिया, नोखागांव, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर, पेथड़ासर, कोलासर, धूपालिया, हिसार (हरियाणा), चूरू के पायली, नूंवा, गौरीसर, जयपुर, सीकर, जैसलमेर, नागौर सहित अनेक स्थानों के स्वयंसेवकों ने भाग लिया। बीकानेर संभाग प्रमुख रेवंतसिंह जाखासर अपने सहयोगियों सहित शिविर में उपस्थित रहे।
शिविर की संपूर्ण आयोजन व्यवस्था झंझेऊ ग्रामवासियों के सहयोग से की गई।
शिविर के दौरान 17 अक्टूबर को द्वितीय संघप्रमुख श्रद्धेय श्री आयुवान सिंह हुडील जयंती मनाई गई। इस अवसर पर केंद्रीय कार्यकारी गजेन्द्र सिंह आऊ ने उनके जीवन परिचय और समाज-सेवा में योगदान पर प्रकाश डाला तथा कहा कि वे सदैव संघ के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।










